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Showing posts from July, 2014

डोर जैसी जिंदगी

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सच है एक डोर जैसी तो होती है हमारी जिंदगी एक डोर की सारी खूबियां होती हैं इसमें  कभी रेशम की डोर जैसी सरल और सहज लेकिन जरा सी लापरवाही से उलझ जाने वाली कभी ऊन की डोर जैसी मोटी और सख्त लेकिन दूसरों की जिंदगी में इंद्रधनुषी रंग भरने वाली कभी एंकर के धागे जैसी थोड़ी मुलायम और कुछ कठोर पर बेकार से एक जिस्म पर प्रेम के बेल-बूटे गढ़ने वाली कभी पतंग के मांझे जैसी तेज-तर्रार और पैनी लेकिन लक्ष्य से दूर होते ही अस्तित्वविहीन होने वाली कभी सूत के धागे जैसी सफेद और चमकदार सबकी जिंदगी में धवल चांदनी बिखेरने वाली कभी बान की डोर जैसी मजबूत और जिद्दी अपने बारम्बार प्रयास से सिल पर निशान डाल देने वाली कभी कपड़े सुखाने वाली डोर जैसी सहनशील अथाह बोझ सहकर भी आह न करने वाली सच है एक डोर जैसी ही तो है हमारी जिंदगी चाहे कितनी ही गुण समा ले अपने अंदर बन जाए चाहे कितनी ही मजबूत और सहनशील लेकिन एक तेज झटके से जैसे टूट जाती है डोर वैसे ही एक झटके में सांसों का साथ छोड़कर देह को निर्जीव कर देने वाली

प्रीत की धुन

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तन्हाई हमें खामोश रहकर बहुत कुछ बताती है खमोशी अक्सर तन्हाई में धुन कोई गुनगुनाती है हौले-हौले दबे पांव से दिल में जब तू आती है तेरे चेहरे की रंगत तब सुर्ख लाल हो जाती है पायल की छन-छन भी तेरी कोई राग सुनाती है झुकती उठती पलकें तेरी बेकरार कर जाती हैं हाथों के कंगन जब तू खन-खन-खन खनकाती है मन में मेरे प्रेम की एक धारा सी बह जाती है प्यारी तेरी बोली इतनी मेरा मन भरमाती है तुझमें ही खो जाऊं मैं चुपके से कह जाती है बंद आंखों से तू हर जगह नजर मुझे आती है आंखें खोलूं तो न जाने क्यूं ओझल तू हो जाती है एक दिन होगी तू मेरी हर तन्हाई यही बताती है खामोशी भी तन्हाई में प्रीत की धुन ही गाती है

मुश्किल होता है

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दिल की बातों को अल्फाज दे पाना मुश्किल होता है किसी-किसी राज को दुनिया को बताना मुश्किल होता है यूं तो जी लेंगे हम तुम्हारे बिना भी जिंदगी पर दिए के बिना बाती का अस्तित्व बचाना मुश्किल होता है इस जहां में बातें तो करते हैं सब बड़ी-बड़ी पर जब खुद पर गुजरे तो सह पाना मुश्किल होता है कहते हैं खुश रहो उसमें जिसमें खुदा की हो मर्जी पर कई बार उसकी मर्जी के आगे सिर झुकाना मुश्किल होता है सुनाते हैं यहां सब किस्से शमां और परवाने की मोहब्बत के पर परवाने के लिए शमां में जल जाना भी मुश्किल होता है राधा और कृष्ण के प्यार की यहां देते हैं सब मिसालें पर राधा-कृष्ण के जैसा प्यारा निभाना मुश्किल होता है अपनी चाहत के लिए मर जाना माना बुजदिली है मैंने पर उसके बिना जी पाना भी मुश्किल होता है ये इश्क की बातें हैं सिर्फ समझेंगे आशिक ही संगदिलों का इन्हें समझ पाना मुश्किल होता है

मेरी मोहब्बत

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पहले भी कह चुके हैं और आज फिर एक बार कहते हैं कि हम तुमसे बहुत प्यार करते हैं बेपनाह करते थे और बेइंतहा करते रहेंगे सिर्फ इस जन्म में ही नहीं आने वाले हर जन्म में हम तुमसे ही मिलेंगे हमारी शक्ल-ओ-सूरत बदल जाएं लेकिन अपनी मोहब्बद हम यूं ही निभाएंगे हर जन्म में हम इश्क का रिश्ता  बस ऐसे ही बढ़ाते जाएंगे मंजिल हमें मिले न मिले पर रास्ते बनाते जाएंगे कभी तुम हवा सा बहते रहना हम खुशबू सा उसमें बिखर जाएंगे कभी तुम प्यासी धरती बन जाना हम बादल सा तुम पर बरस जाएंगे कभी तुम बन जाना अथाह सागर सा हम नदी की धाराओं सा तुम में मिल जाएंगे जब तुम धूप में चल रहे होगे कभी अकेले हम परछाई बनकर तुम्हारा साथ निभाएंगे कभी तुम बन जाना एक दरख्त सा हम मिट्टी बन खुद में तुम्हारी जड़ों को फैलाएंगे जो कभी न आई नींद तुम्हें हम मां की तरह लोरी गाकर तुम्हें सुलाएंगे ये वादा है हमारा तुमसे कि जीवन की हर आपाधापी में  हम साथ तुम्हारा निभाएंगे

क्यों ये चांद दिन में नजर आता है

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ख्वाबों खयालों में हर पल तेरा चेहरा नजर आता है ऐ मेरे मालिक बता, क्यों ये चांद दिन में नजर आता है लगा के काजल दिन को रात कर दो  क्या कोई बता के नजर लगता है क्यों ये चांद दिन में नजर आता है क्यों ये दिल इतना बेवस है कौन जाने क्या कशमकश है मेरे मौला कुछ समझ नहीं आता है क्यों ये चांद दिन में नजर आता है ये नकाब हो गया है दुश्मन मेरा रुख से जरा हटाओ दिखाओ दिलकश चेहरा खुदा की नेमत को भी कोई छुपाता है क्यों ये चांद दिन में नजर आता है इतना आसां नहीं तुम्हें भुला देना मदहोश हो जाऊं तो यारों हिला देना उनकी आमद से मौसम बदल जाता है क्यों ये चांद दिन में नजर आता है हमें देखकर वो अक्सर घबरा जाते हैं शायद रुसबा होने से डर जाते हैं बेजान जिस्म पर क्यों तरस नहीं आता है क्यों ये चांद दिन में नजर आता है

तुम चुप रहो

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एक नन्ही सी कली के टूटे-फूटे स्वर जैसे ही सधकर निकलना शुरू होते हैं तभी से उसे चुप रहने का पाठ पढ़ाया जाता है चुप रहना ही है लड़कियों का गहना  उन्हें यह समझाया जाता है जैसे-जैसे वे बड़ी होती जाती हैं उनके बोलने पर बंदिशे बढ़ती जाती हैं तुम चुप रहो, लड़कियां ज्यादा बोलते हुए अच्छी नहीं लगतीं, ये कहकर बंद करा दिया जाता है उनका मुंह और बाहर निकलने को बेताब उनके शब्द अंदर ही घुटकर तोड़ देते हैं अपना दम जब भी  वे कोशिश करती हैं कुछ बोलने की उनके सामने पेश कर दिये जाते हैं  कई ऐसी लड़कियों के उदाहरण जिनके कम बोलने से ही उनके  अच्छा होने की सार्थकता सिद्ध होती है कभी नहीं बोल पातीं वे  पहले बाप के डर से, समाज के डर से फिर कभी पति के डर से, कभी सास के डर से एक दिन सोचा मैंने कि क्या करती हैं आखिर वे अपने अनकहे शब्दों का शायद सहेजती रहती होंगी उन्हें और गुंथकर बना लेती होंगी उनकी एक माला फिर जब इस दुनिया को छोड़ वे  चली जाती होंगी दूसरी दुनिया में तब श्रद्धांजली स्वरूप अपनी लाश पर चढ़ा लेती होंगी अपने ही शब्दों की ...

जिंदगी

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एक  अबूझ पहेली जिंदगी एक खुशनुमा अहसास जिंदगी हर पल कुछ हासिल करने की चाह जिंदगी कभी काली परछाई सी तो कभी सुनहरे प्रतिविम्ब सी जिंदगी हर पल दरकते रिश्तों में  अपनत्व का गारा भरती जिंदगी कभी पतंग के माझे सी उलझती कभी रेशम की डोर सी सुलझती जिंदगी कभी फूलों सी सुगंध बिखेरती कभी कांटों सी भेदती जिंदगी कभी अधूरे ख्वाब सी कभी सम्पूर्ण विश्वास सी जिंदगी हमें अपनों से दूर कर रुलाती और फिर हमारी गोद में किलकारियां दे जाती जिंदगी हर खुशी, हर गम में हमें अनवरत  चलते जाने का पाठ पढ़ाती जिंदगी