सांसें चली गर्इं

तेरा मुंतजिर कबसे खड़ा था तेरे इंतजार में तू न आया देख उसकी सांसें चली गर्इं रूह तो निकली नहीं जिस्म से उसके दिल से लेकिन धड़कनें खोती चली गर्इं कतरा-कतरा खून बह रहा है आंखों से आंसू की बूंदें नसों में घुलती चली गर्इं इश्क में तेरे वो जीकर फना हो गया मौत आई और बस छूकर चली गई यादें ही तेरी हैं अब उसके जीने का सहारा बातों की शोखियां तो मिटती चली गर्इं