तेरा मुंतजिर कबसे खड़ा था तेरे इंतजार में
तू न आया देख उसकी सांसें चली गर्इं
रूह तो निकली नहीं जिस्म से उसके
दिल से लेकिन धड़कनें खोती चली गर्इं
कतरा-कतरा खून बह रहा है आंखों से
आंसू की बूंदें नसों में घुलती चली गर्इं
इश्क में तेरे वो जीकर फना हो गया
मौत आई और बस छूकर चली गई
यादें ही तेरी हैं अब उसके जीने का सहारा
बातों की शोखियां तो मिटती चली गर्इं
नायाब पेशकश अनुषा,,,
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteBahut Sunder
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteati uttam
ReplyDeleteबहुत खूब ॥
ReplyDeleteइश्क में तेरे वो जीकर फना हो गया
ReplyDeleteमौत आई और बस छूकर चली गई
बहुत सुंदर पेशकश अनुषा,,,
बहुत खूब !
ReplyDeleteदिल को छूती पंक्तियाँ बेहतरीन अभिव्यक्ति ****** जब यकीन होता है कि,
ReplyDeleteयादें ही तेरी हैं अब उसके जीने का सहारा
बातों की शोखियां तो मिटती चली गर्इं
Bahut lajawaab prastuti !
ReplyDeleteगहरी अभिव्यक्ति
ReplyDeletebehtrin !
ReplyDeleteआपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 23 . 10 . 2014 दिन गुरुवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !
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