कभी देखी है तुमने धान रोपती हुई औरत
अपने बालों को कपड़े में लपेटकर
साड़ी को घुटनों तक चढ़ाकर
वो घुस जाती है पानी में और
घंटों यूं ही उस पानी में खड़े रहकर
रोपती रहती है धान
खेत में भरे गंदे पानी से सड़ जाते हैं
उसके हाथ और पैर
कुछ जोंक भी चिपक जाती हैं उसके पैरों में
और भी कई पानी के कीड़े जो
चूसते रहते हैं उसका खून
फिर भी धान रोपती औरतें
अपने लक्ष्य से नहीं भटकतीं
और चेहरे पर मुस्कान लिए
गाती रहती हैं कजरी
इतना दर्द सहने के बाद भी
उनके चेहरे पर होती है एक खुशी
खुशी इस बात की कि उनकी रोपी हुई फसल
बड़ी होकर जब कटेगी तो इसी से
उनका घर चलेगा और
खुशी इस बात की उनके धानों से
मिलने वाले चावल से
न जाने कितनों का पेट भरेगा।।
अपने बालों को कपड़े में लपेटकर
साड़ी को घुटनों तक चढ़ाकर
वो घुस जाती है पानी में और
घंटों यूं ही उस पानी में खड़े रहकर
रोपती रहती है धान
खेत में भरे गंदे पानी से सड़ जाते हैं
उसके हाथ और पैर
कुछ जोंक भी चिपक जाती हैं उसके पैरों में
और भी कई पानी के कीड़े जो
चूसते रहते हैं उसका खून
फिर भी धान रोपती औरतें
अपने लक्ष्य से नहीं भटकतीं
और चेहरे पर मुस्कान लिए
गाती रहती हैं कजरी
इतना दर्द सहने के बाद भी
उनके चेहरे पर होती है एक खुशी
खुशी इस बात की कि उनकी रोपी हुई फसल
बड़ी होकर जब कटेगी तो इसी से
उनका घर चलेगा और
खुशी इस बात की उनके धानों से
मिलने वाले चावल से
न जाने कितनों का पेट भरेगा।।