पथराए नैन

पिया से मिलन की आस में पथरा गए मोरे नैन पिया न मिलन को आए मोहसे बीतीं जाने कितनी रैन बीतीं जाने कितनी रैन कि न आया पिया का संदेशा फंस गए होंगे किसी काम में हुआ दिल को ऐसा अंदेशा इस अंदेशे में दिन काटे और काटीं कितनी रातें अब तो करने लगीं हूं मैं खुद से ही खुद की बातें बातें करते-करते हो जाती सुबह से शाम दिन बीत जाता है पूरा पर न होता मुझसे कोई काम सखियां कहते मुझसे तो हो गई है रे पागल अंसुअन की धार में बहता तेरी आंखों का काजल मैं कहती काजल का क्या है ये तो फिर से लग जाएगा पिया न आए गर मोरे तो इन अंखियन को कुछ न भाएगा