हनुमान और राम

एक ही कक्षा में पढ़ते थे हनुमान और राम मेधावी थे राम और हनुमान बेकाम गुंडा गर्दी में वे आगे खेलकूद में सरपट भागे राम थे पोथी तक सीमित और पढ़ाई में आगे इम्तिहान जब सिर पर आया, हनुमान ने पाठ पढ़ाया मां से कहा मेहनत है पड़ती इसलिए दुगना घी खाया हुए परीक्षा फल जब घोषित हनुमान थे अनुत्तीर्ण और राम हुए उत्तीर्ण हनुमान ने लगा लिया अब चौराहे पर खोखा जिसमें रखकर बेचते थे वे आगरे वाला पेठा राम ने आगे की पढ़ाई और डिग्रियां पार्इं पर ये सारी विद्या उनको रोटी न दे पाई आखिर थक कर गए वो हनुमान के पास बोले यार काम न मिलता मैं हूं एमए पास हनुमान से सोचा समझा फिर लिखी एक पाती कपड़े की मिल में यार को अपने बना दिया चपरासी