एक ही कक्षा में पढ़ते थे हनुमान और राम
मेधावी थे राम और हनुमान बेकाम
गुंडा गर्दी में वे आगे खेलकूद में सरपट भागे
राम थे पोथी तक सीमित और पढ़ाई में आगे
इम्तिहान जब सिर पर आया, हनुमान ने पाठ पढ़ाया
मां से कहा मेहनत है पड़ती
इसलिए दुगना घी खाया
हुए परीक्षा फल जब घोषित
हनुमान थे अनुत्तीर्ण और राम हुए उत्तीर्ण
हनुमान ने लगा लिया अब चौराहे पर खोखा
जिसमें रखकर बेचते थे वे आगरे वाला पेठा
राम ने आगे की पढ़ाई और डिग्रियां पार्इं
पर ये सारी विद्या उनको रोटी न दे पाई
आखिर थक कर गए वो हनुमान के पास
बोले यार काम न मिलता मैं हूं एमए पास
हनुमान से सोचा समझा फिर लिखी एक पाती
कपड़े की मिल में यार को अपने बना दिया चपरासी
लाजवाब | जय श्री राम | बजरंगबली की जय |
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Tamasha-E-Zindagi
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आपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
ReplyDeleteकृपया पधारें
रचना हास्य रस मे लिपटा अपना कटाक्ष कहने में समर्थ है बहुत बढ़िया पहली बार आपको पढ़ रही हूँ अच्छा लगा अपने एग्रीगेटर पर लाने के लिए आपका ब्लॉग फोलो किया है वक़्त मिले तो मेरे ब्लॉग पर भी आइये http://hindikavitayenaapkevichaar.blogspot.in/
ReplyDeleteमेरी रचना को चर्चा मंच में स्थान देने के लिए बहुत-बहुत आभार
ReplyDeleteआज का सच कहती रचना
ReplyDeleteशानदार ....बेहतरीन प्रस्तुति !!
ReplyDeleteपधारें बेटियाँ ...
very good aaj kal yehi chal raha h...
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