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तुमसे ही है इस दिल को करार

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मेरी जिंदगी मेरी जरूरत हो तुम मुमकिन नहीं है मेरे लिए तुम्हारे बिना रहना मैं हूं थोड़ी अक्खड़, कुछ बत्तमीज भी झगड़ती हूं तुमसे और रोती भी हूं बेवजह तुम्हारी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाती मैं जैसा तुम चाहते हो वैसी नहीं बन पाती मैं कोशिश तो करती हूं मैं कि बदल दूं खुद को पर मेरी गलतियां ही फेर देतीं हैं मेरी मेहनत पर पानी जुबां बहुत कड़वी है मेरी, पर दिल में तुम ही हो बिन सांसों के हो जैसे जीवन वैसे ही हूं मैं तुम्हारे बिन कि मेरा दिल भी धड़कता है तुम्हारी धड़कनों से तुम्हारा अहसास ही जगाता है मुझमें जीने की चाहत आँखें खुली हों या बंद आते हैं उनमें तुम्हारे ही सपने चाहती हूं कि जिंदगी का हर पल गुजरे तुम्हारे साथ कि तुम ही तो इस पूरे जहां में मेरे अपने मेरी नादानियां कहो या कहो तुम बदमिजाजी पर तुमसे ही बनता है मेरी ख्वाहिशों का मिजाज माना मैं हूं गलत पर तुम तो हो सही माफी मांगती हूं मैं तुमसे फिर एक बार जहां हो तुम मैं हूं वहीं  कि तुमसे ही है इस दिल को करार