मेरी मोहब्बत
पहले भी कह चुके हैं और आज फिर एक बार कहते हैं कि हम तुमसे बहुत प्यार करते हैं बेपनाह करते थे और बेइंतहा करते रहेंगे सिर्फ इस जन्म में ही नहीं आने वाले हर जन्म में हम तुमसे ही मिलेंगे हमारी शक्ल-ओ-सूरत बदल जाएं लेकिन अपनी मोहब्बद हम यूं ही निभाएंगे हर जन्म में हम इश्क का रिश्ता बस ऐसे ही बढ़ाते जाएंगे मंजिल हमें मिले न मिले पर रास्ते बनाते जाएंगे कभी तुम हवा सा बहते रहना हम खुशबू सा उसमें बिखर जाएंगे कभी तुम प्यासी धरती बन जाना हम बादल सा तुम पर बरस जाएंगे कभी तुम बन जाना अथाह सागर सा हम नदी की धाराओं सा तुम में मिल जाएंगे जब तुम धूप में चल रहे होगे कभी अकेले हम परछाई बनकर तुम्हारा साथ निभाएंगे कभी तुम बन जाना एक दरख्त सा हम मिट्टी बन खुद में तुम्हारी जड़ों को फैलाएंगे जो कभी न आई नींद तुम्हें हम मां की तरह लोरी गाकर तुम्हें सुलाएंगे ये वादा है हमारा तुमसे कि जीवन की हर आपाधापी में हम साथ तुम्हारा निभाएंगे