पहले भी कह चुके हैं
और आज फिर एक बार कहते हैं
कि हम तुमसे बहुत प्यार करते हैं
बेपनाह करते थे और बेइंतहा करते रहेंगे
सिर्फ इस जन्म में ही नहीं आने वाले
हर जन्म में हम तुमसे ही मिलेंगे
हमारी शक्ल-ओ-सूरत बदल जाएं लेकिन
अपनी मोहब्बद हम यूं ही निभाएंगे
हर जन्म में हम इश्क का रिश्ता
बस ऐसे ही बढ़ाते जाएंगे
मंजिल हमें मिले न मिले
पर रास्ते बनाते जाएंगे
कभी तुम हवा सा बहते रहना
हम खुशबू सा उसमें बिखर जाएंगे
कभी तुम प्यासी धरती बन जाना
हम बादल सा तुम पर बरस जाएंगे
कभी तुम बन जाना अथाह सागर सा
हम नदी की धाराओं सा तुम में मिल जाएंगे
जब तुम धूप में चल रहे होगे कभी अकेले
हम परछाई बनकर तुम्हारा साथ निभाएंगे
कभी तुम बन जाना एक दरख्त सा
हम मिट्टी बन खुद में तुम्हारी जड़ों को फैलाएंगे
जो कभी न आई नींद तुम्हें हम
मां की तरह लोरी गाकर तुम्हें सुलाएंगे
ये वादा है हमारा तुमसे कि
जीवन की हर आपाधापी में
हम साथ तुम्हारा निभाएंगे
Nice
ReplyDeletethankyou
Deleteख़ूबसूरत एहसास अनुषा,,,
ReplyDeleteशुक्रिया अरमान जी
Deleteलाजवाब !
ReplyDeleteMohobbat ke khubsurat zasbaat...... lajawaab...
ReplyDeleteशुक्रिया परी जी
Deleteआभार जोशी जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावप्रणव रचना।
ReplyDeleteआभार शास्त्री जी
Deleteप्रेम प्रवाह ... अनेकों जन्मों तक बहता रहे ... आमीन ...
ReplyDeleteशुक्रिया दिगंबर जी
Deleteसुम्मा आमीन
हम तुमसे बहुत प्यार करते हैं
ReplyDeleteबेपनाह करते थे और बेइंतहा करते रहेंगे
सुंदर प्रस्तुति..
धन्यवाद
Deleteसादर
हाल हाल में प्यार कम नहीं होगा ... बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
ReplyDeleteकभी तुम बन जाना अथाह सागर सा
ReplyDeleteहम नदी की धाराओं सा तुम में मिल जाएंगे
जब तुम धूप में चल रहे होगे कभी अकेले
हम परछाई बनकर तुम्हारा साथ निभाएंगे
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
धन्यवाद प्रतिभा जी
Deleteअच्छी रचना !
ReplyDeleteधन्यवाद
ReplyDeleteअच्छा लगा ब्लाग पर आकर.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteआभार कैलाश जी
Deleteबहुत खूब...
ReplyDeleteसकारात्मक सोच वाली रचना बहुत पसंद आई मुझे
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनाएं
जब तुम धूप में चल रहे होगे कभी अकेले
ReplyDeleteहम परछाई बनकर तुम्हारा साथ निभाएंगे... lovely !
आभार
ReplyDeleteसादर आभार
ReplyDeleteकभी तुम बन जाना अथाह सागर सा
ReplyDeleteहम नदी की धाराओं सा तुम में मिल जाएंगे
जब तुम धूप में चल रहे होगे कभी अकेले
हम परछाई बनकर तुम्हारा साथ निभाएंगे
समार्पित भाव से किया हुआ स्नेह ही तो सच्चा स्नेह होता है.
सही कहा आपने रंजन जी
Deleteकभी तुम हवा सा बहते रहना
ReplyDeleteहम खुशबू सा उसमें बिखर जाएंगे
कभी तुम प्यासी धरती बन जाना
हम बादल सा तुम पर बरस जाएंगे
एकदम बढ़िया
सादर आभार
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