तुम्हारे साथ गुजारा हर लम्हा
जैसे कैद हो जाता है मेरे जेहन में
जब भी झुकाती हूं मैं पलकें
मुस्कुराते हुए तुम उतर आते
हो मेरी अधखुली आंखों में
मेरे हाथों को हर पल होता रहता है
तुम्हारी छुअन का अहसास
सिहरन सी होती रहती है दिल में
तुम्हारी नजरों की शरारत को याद कर
अलसाई सी सुबह दिलकश हो जाती है
ख्वाबों में जब कभी आ जाते हो तुम
ठंडी शाम सुरमई सी नजर आती है
तुम्हारे आगोश में सिर छुपाए हुए
मेरी गोद में सिर रखकर जब
लेट जाते हो तुम बेपरवाह से
तो लगता है कि वो पल थम जाए वहीं
और उस रात की फिर कभी सहर न हो