हुनर को परवाज देती ब्लॉगिंग
रचानात्कता एक ऐसी चीज है जो इस दुनिया की बाकी किसी भी चीज से ज्यादा सुकून देती है। या यूं कहा जाए कि आप अपने मन की भावनाओं को अपनी रचनाशीलता से ही कई बार बाहर निकाल पाते हैं। कुछ लोग अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए पेंटिंग बनाते हैं, तो कुछ कविताएं लिखते हैं, कुछ लोग जज्बातों को शेरो-शायरी में पिरो देते हैं और कुछ मुक्तक और छन्द बनाते हैं। दरअसल अपनी भावनाओं को मूर्त रूप देने से ज्यादा सुखद अनुभूति तब होती है जब आपकी रचनाओं को सराहने वाले कोई मिल जाता है। और ऐसा मौका आपको ब्लॉग के जरिए मिलता है। शायद यही वजह है आजकल ब्लॉगिंग युवाओं को बहुत भा रही है। 24 साल की श्रुति को कविताएं लिखना बहुत पसंद है, लेकिन वह अपनी कविताओं को अपनी जान-पहचान के लोगों को पढ़ाने में हिचकिचाती है। उसे लगता है कि अगर उसकी कविता अच्छी नहीं हुई तो लोग उसका मजाक बनाएंगे। लेकिन वह उसे लोगों के सामने भी लाना चाहती है, ऐसे में उसे खयाल आया कि क्यों न अपना एक ब्लॉग बनाऊं और अपनी सारी कविताओं को उसमें ही डालूं। इस बहाने लोग मेरी कविताओं को पढ़ भी लेंगे। अगर उन्हें मेरी कविता पसंद आई तो मुझे तारीफ मिल जा...