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Showing posts from April 19, 2014

कुछ कहमुकरियां

देर रात वो मुझको सताए आहट करके मुझको जगाए उसने छीना मेरा चैन ऐ सखि साजन!न सखि वॅाचमैन।। ---------------------- उसको देख के मैं छुप जाऊँ जहां हो वो वहाँ मैं नहीं जाऊँ उसने बानाया मुझे बावली ऐ सखि साजन!न सखि छिपकली।। ----------------------- वो है सबसे भोला-भाला मन का सच्चा और निराला उसके लिए मन में नहीं कोई सवाल ऐ सखि साजन!न सखि केजरीवाल।। ------------------------ जब-जब मैं फोन उठाऊं उसको देख के मैं मुस्काऊं नहीं है उसमें कोई ऐब ऐ सखि साजन!न सखि व्हॅाट्स ऐप।।