ख्वाबों खयालों में हर पल तेरा चेहरा नजर आता है
ऐ मेरे मालिक बता, क्यों ये चांद दिन में नजर आता है
लगा के काजल दिन को रात कर दो
क्या कोई बता के नजर लगता है
क्यों ये चांद दिन में नजर आता है
क्यों ये दिल इतना बेवस है
कौन जाने क्या कशमकश है
मेरे मौला कुछ समझ नहीं आता है
क्यों ये चांद दिन में नजर आता है
ये नकाब हो गया है दुश्मन मेरा
रुख से जरा हटाओ दिखाओ दिलकश चेहरा
खुदा की नेमत को भी कोई छुपाता है
क्यों ये चांद दिन में नजर आता है
इतना आसां नहीं तुम्हें भुला देना
मदहोश हो जाऊं तो यारों हिला देना
उनकी आमद से मौसम बदल जाता है
क्यों ये चांद दिन में नजर आता है
हमें देखकर वो अक्सर घबरा जाते हैं
शायद रुसबा होने से डर जाते हैं
बेजान जिस्म पर क्यों तरस नहीं आता है
क्यों ये चांद दिन में नजर आता है
बहुत ही सुंदर व नायाब , बेहतरीन रचना अनुषा जी धन्यवाद !
ReplyDeleteI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बहुत खुबसूरत रचना !
ReplyDeleteनई रचना मेरा जन्म !
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ReplyDeleteमाशाल्लाह आप तो शायर हो गईं,,,
ReplyDeletesaadar abhaar
Deleteबहुत सुंदर अहसास.
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteसादर
मुझे टिप्पणी करने के लिए सच में कोई शब्द नहीं मिलते। बहुत खूब
ReplyDeleteआपका बहुत आभार संजय जी।।
Deleteआप टिप्पणी जरूर करें... हर टिप्पणी से मेरा उत्साहवर्धन होता है।।
प्यारी रचना !
ReplyDeleteसादर धन्यवाद
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (12-07-2014) को "चल सन्यासी....संसद में" (चर्चा मंच-1672) पर भी होगी।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर आभार
Deleteबेहतरीन
ReplyDeleteधन्यवाद यशवंत जी
Deleteकल 13/जुलाई /2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
आभार
Deleteसादर
वाह..क्या ख़ूबसूरत अहसास...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteधन्यवाद कैलाश जी
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteशुक्रिया प्रतिभा जी
Deleteसुंदर प्रस्तुति , आप की ये रचना चर्चामंच के लिए चुनी गई है , सोमवार दिनांक - १३ . ७ . २०१४ को आपकी रचना का लिंक चर्चामंच पर होगा , कृपया पधारें धन्यवाद !
ReplyDeleteबहुत खूब ... दिन में चाँद नज़र आयेगा तो सूरज किधर जाएगा ...
ReplyDeleteलाजवाब प्रस्तुति ...
धन्यवाद दिगम्बर जी
Deleteवाह क्या बात है अनुषा। एकदम प्रेम में भीगे हुए ज़ज़्बात। बहुत ही प्यारी ग़ज़ल
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुति
ReplyDeleteशुक्रिया महेंद्र जी
DeleteAti sunder rachna.........shubhkamnayein..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeletethankyou
ReplyDeleteबहुत ही गहरे भावो की अभिवयक्ति......
ReplyDeleteशुक्रिया सुषमा जी
Deleteशब्दों की चित्रकारी बेहद खुबसूरत
ReplyDeleteGod ब्लेस्स you
आभार विभा जी
Deleteबेहतरीन...
ReplyDeleteशुक्रिया
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