www.hamarivani.com

Sunday, October 12, 2014

रिश्ता पुराना है


एहसास ये नया सा है लेकिन रिश्ता पुराना है
महसूस करो तो हकीकत, नहीं तो फसाना है

कसमे, वादे, प्यार, वफा नहीं हैं बस कहने की बातें
इनके बिना बहुत ही मुश्किल जिंदगी बिताना है

तुम चुप रहकर ही बयां करो चाहत तुम्हारी
मुझे तो अल्फाजों में ही अपना प्यार जताना है

उम्मीद है कभी तो करोगे इजहार-ए-मोहब्बत
हर सांस के साथ मुझे इंतजार करते जाना है

तुम्हारे बिना कुछ नहीं हूं मैं जान लो ये तुम भी
तुम्हारे दिल का इक कोना ही अब मेरा ठिकाना है

एहसास ये नया सा है लेकिन रिश्ता पुराना है
महसूस करो तो हकीकत, नहीं तो फसाना है


15 comments:

  1. बहुत बढ़िया. बधाई

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (13-10-2014) को "स्वप्निल गणित" (चर्चा मंच:1765) (चर्चा मंच:1758) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच के सभी पाठकों को
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  3. Bahut khubsurat ahsaas ye rishta purana hai par ahsaas nya hai... Yahi to pyar ka ishara hai ... Umdaa..lajawaab !!

    ReplyDelete
  4. तुम चुप रहकर ही बयां करो चाहत तुम्हारी
    मुझे तो अल्फाजों में ही अपना प्यार जताना है..
    वाह क्या बात है ... प्रेम है तो बोलना जरूरी है ... लाजवाब शेर है इस ग़ज़ल का ...

    ReplyDelete
  5. एहसास ये नया सा है लेकिन रिश्ता पुराना है
    महसूस करो तो हकीकत, नहीं तो फसाना है! सुन्दर अभिव्यक्ति! अनुशा जी!
    धरती की गोद

    ReplyDelete
  6. नाज़ुक अहसासों से भरी खूबसूरत गज़ल !

    ReplyDelete
  7. हर शब्द अपनी दास्ताँ बयां कर रहा है आगे कुछ कहने की गुंजाईश ही कहाँ है बधाई स्वीकारें

    ReplyDelete
  8. खूबसूरत अभिव्यक्ति है जज़्बात की...

    ReplyDelete
  9. बहुत सुंदर - जय एकलिंगनाथ जी की

    ReplyDelete