एहसास ये नया सा है लेकिन रिश्ता पुराना है
महसूस करो तो हकीकत, नहीं तो फसाना है
कसमे, वादे, प्यार, वफा नहीं हैं बस कहने की बातें
इनके बिना बहुत ही मुश्किल जिंदगी बिताना है
तुम चुप रहकर ही बयां करो चाहत तुम्हारी
मुझे तो अल्फाजों में ही अपना प्यार जताना है
उम्मीद है कभी तो करोगे इजहार-ए-मोहब्बत
हर सांस के साथ मुझे इंतजार करते जाना है
तुम्हारे बिना कुछ नहीं हूं मैं जान लो ये तुम भी
तुम्हारे दिल का इक कोना ही अब मेरा ठिकाना है
एहसास ये नया सा है लेकिन रिश्ता पुराना है
महसूस करो तो हकीकत, नहीं तो फसाना है
बहुत उम्दा रचना !
ReplyDeleteसाजन नखलिस्तान
khoobsurat ehsas...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया. बधाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (13-10-2014) को "स्वप्निल गणित" (चर्चा मंच:1765) (चर्चा मंच:1758) पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
umda
ReplyDeleteBahut khubsurat ahsaas ye rishta purana hai par ahsaas nya hai... Yahi to pyar ka ishara hai ... Umdaa..lajawaab !!
ReplyDeleteतुम चुप रहकर ही बयां करो चाहत तुम्हारी
ReplyDeleteमुझे तो अल्फाजों में ही अपना प्यार जताना है..
वाह क्या बात है ... प्रेम है तो बोलना जरूरी है ... लाजवाब शेर है इस ग़ज़ल का ...
एहसास ये नया सा है लेकिन रिश्ता पुराना है
ReplyDeleteमहसूस करो तो हकीकत, नहीं तो फसाना है! सुन्दर अभिव्यक्ति! अनुशा जी!
धरती की गोद
नाज़ुक अहसासों से भरी खूबसूरत गज़ल !
ReplyDeleteहर शब्द अपनी दास्ताँ बयां कर रहा है आगे कुछ कहने की गुंजाईश ही कहाँ है बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteसुंदर व बेहतरीन , धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
खूबसूरत अभिव्यक्ति है जज़्बात की...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर :)
ReplyDeletebeautifull one
ReplyDeleteबहुत सुंदर - जय एकलिंगनाथ जी की
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