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Sunday, September 21, 2014

बस तुम्हीं हो

तुम्हारे ख्वाबों ने मेरे मन में कुछ ऐसा मकाम बनाया है
कि हर पल मेरे खयालों में बस तुम्हारा ही नाम छाया है

तुम्हारा हाथ थामकर कट जाएगा जिंदगी का सफर
तुम्हारे साथ ही बीतेगा अब हर मौसम और पहर

तुम्हारी आंखों की कशिश में हर शाम डूबा करेंगे
तुम्हारी बाहों के घेरे में ही अब दिन और रात कटेंगे

पहली हो या आखिरी मेरी मोहब्बत बस तुम्हीं हो
हर पल जो मैं करती हूं वो इबादत बस तुम्हीं हो

जिस्म-ओ-जान से अब तुम्हारे बनकर हम जिएंगे
तुम्हारी गोद में सिर रखकर ही हम मौत से मिलेंगे

20 comments:

  1. वाह अनुषा जी। जबरदस्त वापसी।
    खूबसूरत नज़्म

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  2. बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण ! कोमल रचना

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  3. मुहब्बत के नाम लिखा सुनहरा पैगाम ...

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    1. प्रतिक्रिया के लिए आभार नासवा जी

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    1. प्रतिक्रिया के लिए आभार

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  6. बहुत भावपूर्ण शायराना रचना
    स्वयं शून्य

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  7. मुहब्बत को आत्मसात करती सुन्दर अभिव्यक्ति !
    : शम्भू -निशम्भु बध --भाग १

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    1. बहुत आभार कालीपद जी

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  8. Bahut khubsurat ahsaas ...zabardast rachna!!

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  9. बहुत भावपूर्ण और सुन्दर प्रस्तुति...

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    1. आपका धन्यवाद कैलाश जी

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  10. शुक्रिया यशवंत जी

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  11. Beautiful poetry Anusha..loved it :)

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