तुम्हारे ख्वाबों ने मेरे मन में कुछ ऐसा मकाम बनाया है
कि हर पल मेरे खयालों में बस तुम्हारा ही नाम छाया है
तुम्हारा हाथ थामकर कट जाएगा जिंदगी का सफर
तुम्हारे साथ ही बीतेगा अब हर मौसम और पहर
तुम्हारी आंखों की कशिश में हर शाम डूबा करेंगे
तुम्हारी बाहों के घेरे में ही अब दिन और रात कटेंगे
पहली हो या आखिरी मेरी मोहब्बत बस तुम्हीं हो
हर पल जो मैं करती हूं वो इबादत बस तुम्हीं हो
जिस्म-ओ-जान से अब तुम्हारे बनकर हम जिएंगे
तुम्हारी गोद में सिर रखकर ही हम मौत से मिलेंगे
वाह अनुषा जी। जबरदस्त वापसी।
ReplyDeleteखूबसूरत नज़्म
Thankyou Smita
Deleteबढ़िया रचना , धन्यवाद !
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बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण ! कोमल रचना
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteमुहब्बत के नाम लिखा सुनहरा पैगाम ...
ReplyDeleteप्रतिक्रिया के लिए आभार नासवा जी
Deleteहाय ...... चैन उड़ा दे ये अल्फाज
ReplyDelete: पासबां-ए-जिन्दगी: हिन्दी
प्रतिक्रिया के लिए आभार
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण शायराना रचना
ReplyDeleteस्वयं शून्य
मुहब्बत को आत्मसात करती सुन्दर अभिव्यक्ति !
ReplyDelete: शम्भू -निशम्भु बध --भाग १
बहुत आभार कालीपद जी
DeleteBahut khubsurat ahsaas ...zabardast rachna!!
ReplyDeleteThankyou Pari ji
Deleteबहुत भावपूर्ण और सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteआपका धन्यवाद कैलाश जी
Deleteशुक्रिया यशवंत जी
ReplyDeleteBeautiful poetry Anusha..loved it :)
ReplyDeletethankyou vyas ji
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