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Showing posts from 2013

मेरा भरोसा

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आरजू-ए-इश्क तो हम भी रखते हैं इस अरज़1  के लोगों से मोहब्बत हम भी करते हैं एक अफवाह से आशुफ्ता2 हो गए हैं हम कि लोग कहते हैं कि एक अश्किया3  से इश्क कर बैठे हैं हम लेकिन उनके अस्काम4 अल्फाजों का नहीं पड़ता है मुझपे कोई असर सोच जो लिया है मैंने कि जिंदगी तो करनी है मुझे उसके ही साथ बसर यूं तो इस दुनिया में न तो कोई अच्छा है और न ही है कोई बुरा अक़िबत5 में क्या होगा ये है किसको पता आगाज करने में ही जो हम घबरा जाएंगे तो खुशियों को अपने आगोश में कभी न समेट पाएंगे इस जहां में कोई भी तो नहीं है अर्जमंद6 शक का जो दार7 बनाएंगे तो खुशियां कहां से लाएंगे कोई कुछ भी रहता रहे मुझे है उस पर पूरा भरोसा मेरी आंखों में आब-ए-चश्म8 का अस्बाब9 न बनेगा वो कभी नाआश्नाओं10 की बातों में आकर खुद पर न सितम ढाएंगे 1-धरती 2- भ्रमित 3-कठोर दिल 4-बुरे  5-भविष्य 6-महान 7-घर  8-आंसू 9- कारण 10-अजनबियों

अंतर

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रात के बारह बज रहे थे। अंकिता अपने पति का आॅफिस से लौटने का इंतजार कर रही थी। तभी डोर वेल बजी। अंकिता ने उठकर दरवाजा खोला। सामने अनिकेत चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट के साथ खड़ा था। अंकिता ने उसको गले लगाया और उससे फ्रेश होने को कहकर खाना निकालने चली गई। दोनों साथ में खाना खा रहे थे, तभी अंकिता ने अनिकेत से कहा कि आज आॅफिस में साथ काम करने वाले एक कलिंग ने उससे बोला कि अगर आपके घर के पास कोई कमरा खाली हो तो मुझे दिलवा दीजिए लेकिन मैंने एक-दो रूम के बारे में बताया और बहाना बनाकर टाल दिया। दरअसल अंकिता और अनिकेत दोनों एक ही आॅफिस में काम करते हैं ल ेकिन अंकिता की दिन की शिफ्ट होती है और अनिकेत की इवनिंग शिफ्ट होती है। इस  बात पर अनिकेत बिफर गया और बोला कि उसने तुमसे ही क्यों कमरा दिलवाने के लिए बोला , मैं भी तो वहीं काम करता हूं फिर उसने मुझसे क्यों नहीं बोला। अंकिता ने अपनी  सफाई देनी चाही लेकिल अनिकेत कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था। अंकिता ने अनिकेत से बात करनी चाहिए लेकिन अनिकेत नींद आने का बहाना बनाकर सोने चला गया। अंकिता बिस्तर पर लेटी और उसे कुछ दिन पुरानी घटना याद गई। जब ...

हनुमान और राम

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एक ही कक्षा में पढ़ते थे हनुमान और राम मेधावी थे राम और हनुमान बेकाम गुंडा गर्दी में वे आगे खेलकूद में सरपट भागे राम थे पोथी तक सीमित और पढ़ाई में आगे इम्तिहान जब सिर पर आया, हनुमान ने पाठ पढ़ाया मां से कहा मेहनत है पड़ती इसलिए दुगना घी खाया हुए परीक्षा फल जब घोषित हनुमान थे अनुत्तीर्ण और राम हुए उत्तीर्ण हनुमान ने लगा लिया अब चौराहे पर खोखा जिसमें रखकर बेचते थे वे आगरे वाला पेठा राम ने आगे की पढ़ाई और डिग्रियां पार्इं पर ये सारी विद्या उनको रोटी न दे पाई आखिर थक कर गए वो हनुमान के पास बोले यार काम न मिलता मैं हूं एमए पास हनुमान से सोचा समझा फिर लिखी एक पाती कपड़े की मिल में यार को अपने बना दिया चपरासी

फेसबुक की महिमा

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हर कोई है यहां फेसबुक का दीवाना जिसके चलते हो गया है घरवालों से बेगाना हर पांच मिनट में चेक करना है सबको प्रोफाइल कमेंट देखकर चेहरे पर आ जाती है प्यारी सी स्माइल जिसके पोस्ट पर ज्यादा कमेंट वो समझता है खुद को हीरो जिसके पास नहीं है लाइक्स वो कहलाता है जीरो सोशल मीडिया में फेसबुक की महिमा है सबसे न्यारी इसके सामने नहीं है कुछ भी ट्विटर और ब्लॉगगीरी अगर नहीं हो  फेसबुक पर तो कर लो इसमें एन्ट्री हो जाइगी जिससे आपकी लाइफ भी कॉमप्लमेंट्री इसके बहाने हो जाता है लोगों का स्टेटस अपडेट जो नहीं है फेसबुक पर वो है आउट ऑफ डेट

वादा स्वस्थ रहने का

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हर वर्ष 7 अप्रैल को  ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’  मनाया जाता है। इसी दिन सफल जीवन के लिए स्वास्थ्य के महत्व को समझते हुए 7 अप्रैल, 1948 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की स्थापना की गई थी। अंग्रेजी में एक कहावत है ‘हेल्थ इज वेल्थ’ अर्थात स्वास्थ्य ही पूंजी है। लेकिन वर्तमान परिदृश्य पर नजर डालें तो शायद ही कोई व्यक्ति अपने स्वस्थ शरीर के महत्व को समझता हो। दुनिया के अधिकांश देशों में आज ऐसे हालात बन गए हैं जिनमें जटिल और तनावग्रस्त जीवनशैली से जूझता हुआ व्यक्ति ना तो अपने खान-पान पर ध्यान देता है और ना ही अपने स्वास्थ्य की अहमियत समझता है। हममें से कुछ लोग ऐसे हैं जो अपने काम और व्यस्तता के चलते अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाते तो कुछ लोग ऐसे हैं जो पर्याप्त साधन न होने के कारण इस ओर ध्यान नहीं दे पाते। इस विश्व स्वास्थ्य दिवस पर एसएन मेडिकल कॉलेज के भूतपूर्व प्रोफेसर सीनियर कसंल्टेंट फिजीशियन डॉ. बीबी माहेश्वरी से बात करके हमने जाना कि सामान्य तौर पर होने वाली बीमारियां कौन-कौन सी हैं और हम उनसे बचकर कैसे स्वस्थ जीवन जी सकते हैं.... कम्यूनिकेबल डिजीजेस कम्यूनिकेबल ...

कौन है वो

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कभी तपती धूप में भी जुगनू सा चमकता है वो कभी चांद की  रोशनी में दिए सा जलता है वो कभी लाल गुलाब पर गिरी शबनमी बूंद की तरह इतराता है वो कभी मां के गले में पड़ी तस्बीह के दाने जैसा इठलाता है वो कभी आसमान में बादलों के झुंड सा नजर आता है वो कभी बारिश की बूंदों सा धरती पर गिर जाता है वो कभी मुझे ख्वाबों में जगाकर खुद सो जाता है वो कभी दादी की लोरी की तरह मुझे थपथपाता है वो कभी जमीन पर उगी घास की तरह पैरों को गुदगुदाता है वो कभी पेड़ की डाल पर बैठी कोयल की तरह गुनगुनाता है वो कभी बहती हवा में मोगरे की सुगंध सा बिखर जाता है वो कौन है वो, कहां है वो मेरे ही सवालों में मुझे उलझाता है वो, कहां-कहां मैं ढूंढूं उसे, हर जगह तो मुझे नजर आता है वो....

सुंदरता और रुपये

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लोग कहते हैं कि सुबह-सुबह देखा हुआ ख्वाब सच हो जाता है उसने भी तो देखा था भोर की पहली किरण के साथ एक ख्वाब देखा था उसने की उसके लिए भी खुदा ने चुना है एक हमसफर को देखा था उसने कि कोई भीड़ में से निकलता हुआ आ रहा है उसके पास और उसका हाथ थामकर ले जाता है उसको अपने साथ लेकिन अभी तक नहीं सच हुआ उसका ये सुबह को देखा हुआ ख्वाब अब तो जिंदगी के पैंतीस बसंत निकल चुके हैं उसे इंतजार करते हुए, लेकिन कोई नहीं उसका हाथ थामने क्या गलती थी उसकी, शायद ये कि उसका रंग बाकी लड़कियों की तरह गोरा नहीं था, हां शायद सांवला होना ही उसकी गलती थी.. तो क्या हुआ गर वो सांवली थी..पढ़ने में तो तेज थी, खाना बनाना भी जानती थी घर के सारे कामों में तो उसकी मम्मी ने उसे पहले से ही निपुण कर दिया था लेकिन एक लड़की की शादी होने के लिए इस सब से ऊपर होता है उसका गोरा होना सुंदर होना... ऐसा नहीं था कि सिर्फ सुंदर होना ही उसके ब्याहता न होने की सबसे बड़ी वजह थी एक और भी कारण था इसका, उसके ‘ कु ’रूप होने से भी बड़ा कारण दूल्हा खरीदने के लिए उसके किसान बाप के पास रुपये नहीं थे... बिना गुणों के, बिना रूप के, यह...

पथराए नैन

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पिया से मिलन की आस में पथरा गए मोरे नैन पिया न मिलन को आए मोहसे बीतीं जाने कितनी रैन बीतीं जाने कितनी रैन कि न आया पिया का संदेशा फंस गए होंगे किसी काम में हुआ दिल को ऐसा अंदेशा इस अंदेशे में दिन काटे और काटीं कितनी रातें अब तो करने लगीं हूं मैं खुद से ही खुद की बातें बातें करते-करते हो जाती सुबह से शाम दिन बीत जाता है पूरा पर न होता मुझसे कोई काम सखियां कहते मुझसे तो हो गई है रे पागल अंसुअन की धार में बहता तेरी आंखों का काजल मैं कहती काजल का क्या है ये तो फिर से लग जाएगा पिया न आए गर मोरे तो इन अंखियन को कुछ न भाएगा

लड़का और लड़की

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कई दिन हो गए उनका इंतजार करते हुए लेकिन अभी तक नहीं आए वो कहा था उनसे कि इस बार थोड़ा जल्दी आना पापा-मम्मी से बात करना हमारी शादी की लेकिन वो तो ऐसे गए कि अब तक न आए कहां गए, क्यों गए कुछ बताया ही नहीं बहुत कोशिश की पता लगाने की कि कहां हैं वो एक दिन उनके एक दोस्त को कहते सुना था कि किसी और के साथ कर ली है उन्होंने शादी लेकिन सुन कर भी कानों को भरोसा न हुआ दिल को विश्वास है कि वो ऐसा कुछ कर ही नहीं सकते बहुत प्यार करते हैं वो मुझसे लेकिन हो भी तो सकता है, याद आया कि कुछ दिनों से एक लड़की से कुछ ज्यादा ही बातें करने लगे थे वो कहीं उससे ही तो नहीं, नहीं ऐसा नहीं हो सकता वो तो सिर्फ दोस्त थी उनकी, दोस्तों से शादी थोड़े ही करते हैं दिल को समझाकर फिर करने लगी उनका इंतजार अचानक एक दिन दरवाजे पर दस्तक हुई सामने खड़े थे वो और उनके साथ उनकी दोस्त लेकिन अब तो वो उनकी बीवी बन चुकी थी एक पल को तो लगा जैसे कि ये हकीकत नहीं सपना है अपना दिल ही अपनी आंखों पर  यकीन नहीं कर पा रहा था उनसे कहा ये तो आपकी दोस्त थी न, लेकिन फिर खुद ही अपने सवाल का जवाब मिल गया कई लोगों की कह...

मोहब्बत का अहसास

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 दूर-दूर तक पसरी ख़ामोशी...ना कोई साथ है ना किसी के साथ की ख्वाहिश... वीरान तन्हाई में भी तुम्हारी यादों का काफिला साथ है...तुम पास न सही,  तुम्हारे होने का अहसास तो साथ है...कितना अजीब होता है किसी की चाहत का असर.. किसी की मोहब्बत का नूर, जो कभी तन्हाई में भी मोहब्बत की महफ़िल सजा देता है,  तो कभी भीड़ में भी तनहा कर देता है...ना कहने के लिए अल्फाज़ की जरूरत होती है... ना नज़रों से हाले दिल बयां होता है...हम बस ख़ामोशी से उन्हें देखते रह जाते हैं और... ना जाने कब चुपके से ये दिल उनका हो जाता है... कितने खुशनसीब...

प्यार क्या है??

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कोई कहता है प्यार आवाज नहीं, कोई कहता है प्यार खामोश नहीं, कोई कहता है प्यार खुशियों की नदी है, तो कोई कहता है कि प्यार गम का सागर है। किसी को शम्मा में जलते हुए परवाने का प्यार नजर आता है तो किसी को चांद तारे तोड़ कर लाने का इकरार समझ आता है। कोई कहता है प्यार में पाना ही सब कुछ नहीं तो कोई कहता है जो खो जाए वो प्यार नहीं। कोई प्यार में जान देने को तैयार है तो कोई कहता है जान लेना कहां का प्यार है। किसी को कभी न मिलने वाले रोमियो जूलियट और लैला मजनू का प्यार सदाबहार लगता है कोई साथ-साथ जीने और मरने वाले दादा-दादी के प्यार के किस्से सुनाता है। हर किसी की प्यार की अपनी-अपनी परिभाषा है, प्यार के बारे में बताने का, प्यार को तोलने का, मापने का तरीका है, लेकिन मैं आज तक नहीं समझ पाई कि आखिर प्यार क्या है??? राधा और कृष्ण का प्यार सच्चा है या मेरे पापा मम्मी का प्यार अच्छा है??

प्रपोज वाला इजहार

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हो गया है हमको तुमसे इश्क वाला लव जी करता लिखूं तुमको इक लेटर वाला खत लेकिन खत लिखने में लगता है हमको बहुत टाइम वाला वक्त क्योंकि अंग्रेजी में है हमारा हाथ बहुत टाइट वाला सख्त कोई ऐसा तरीका बताओ जिससे हम तुमको कर सकें प्रपोज वाला इजहार आजकल मेरा दिल रहने लगा है बहुत बेकरार इंस्टेंट प्रक्रिया का कोई तो तरीका बताओ अब डिले करके इतना हमको न सताओ कहीं ऐसा न हो कि प्रपोज डे के बाद निकल जाए वैलेनटाइन डे भी फिर बीत जाए बसंत का सीजन भी खुशगवार और हमें करना पड़े एक साल फिर वेट वाला इंतजार.... .....अुनषा मिश्रा

प्यार का रंग

ब्लैक एंड व्हाइट पेंटिंग जैसी मेरी इस जिंदगी में तुमने आकर प्यार की कूंची से बेहिसाब रंग भर दिए पहले अकेले तन्हा रहती थी मैं जिंदगी को एक बोझ की गठरी समझकर ढोती थी मैं लेकिन तुम्हारे आते ही लगा जैसे कि बोझ की वो गठरी छिटककर कहीं दूर जा गिरी हो और जिंदगी की सारी मुश्किलें उसमें से निकलने को बेताब हो रही हों बहुत हल्कापन महसूस हुआ था मेरे दिल को उस दिन धीरे-धीरे तुमसे बातें करना अच्छा लगने लगा था फिर न जाने कब उन बातों ही बातों में तुमसे प्यार हो गया और फिर एक दिन आया जब उस प्यार का इकरार हो गया उस दिन से मैं हो गई तुम्हारी और तुम मेरे हमेशा के लिए अब तो मुझे अपनी ब्लैक एंड व्हाइट यादें भी रंगीन नजर आने लगी हैं तुम्हारा हाथ थामे जिंदगी में आगे बढ़ने की चाहत भरमाने लगी है अब बस इतनी इल्तजा है तुमसे कि यूं ही बस  यू हीं हमेशा तुम मेरा साथ देना और मेरे साथ रहना जिंदगी की इस गली के आखिरी मोड़ के आखिरी छोर तक।।। अनुषा मिश्रा