मेरा भरोसा

आरजू-ए-इश्क तो हम भी रखते हैं इस अरज़1 के लोगों से मोहब्बत हम भी करते हैं एक अफवाह से आशुफ्ता2 हो गए हैं हम कि लोग कहते हैं कि एक अश्किया3 से इश्क कर बैठे हैं हम लेकिन उनके अस्काम4 अल्फाजों का नहीं पड़ता है मुझपे कोई असर सोच जो लिया है मैंने कि जिंदगी तो करनी है मुझे उसके ही साथ बसर यूं तो इस दुनिया में न तो कोई अच्छा है और न ही है कोई बुरा अक़िबत5 में क्या होगा ये है किसको पता आगाज करने में ही जो हम घबरा जाएंगे तो खुशियों को अपने आगोश में कभी न समेट पाएंगे इस जहां में कोई भी तो नहीं है अर्जमंद6 शक का जो दार7 बनाएंगे तो खुशियां कहां से लाएंगे कोई कुछ भी रहता रहे मुझे है उस पर पूरा भरोसा मेरी आंखों में आब-ए-चश्म8 का अस्बाब9 न बनेगा वो कभी नाआश्नाओं10 की बातों में आकर खुद पर न सितम ढाएंगे 1-धरती 2- भ्रमित 3-कठोर दिल 4-बुरे 5-भविष्य 6-महान 7-घर 8-आंसू 9- कारण 10-अजनबियों