वादा स्वस्थ रहने का


हर वर्ष 7 अप्रैल को  ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’  मनाया जाता है। इसी दिन सफल जीवन के लिए स्वास्थ्य के महत्व को समझते हुए 7 अप्रैल, 1948 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की स्थापना की गई थी।
अंग्रेजी में एक कहावत है ‘हेल्थ इज वेल्थ’ अर्थात स्वास्थ्य ही पूंजी है। लेकिन वर्तमान परिदृश्य पर नजर डालें तो शायद ही कोई व्यक्ति अपने स्वस्थ शरीर के महत्व को समझता हो। दुनिया के अधिकांश देशों में आज ऐसे हालात बन गए हैं जिनमें जटिल और तनावग्रस्त जीवनशैली से जूझता हुआ व्यक्ति ना तो अपने खान-पान पर ध्यान देता है और ना ही अपने स्वास्थ्य की अहमियत समझता है। हममें से कुछ लोग ऐसे हैं जो अपने काम और व्यस्तता के चलते अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाते तो कुछ लोग ऐसे हैं जो पर्याप्त साधन न होने के कारण इस ओर ध्यान नहीं दे पाते। इस विश्व स्वास्थ्य दिवस पर एसएन मेडिकल कॉलेज के भूतपूर्व प्रोफेसर सीनियर कसंल्टेंट फिजीशियन डॉ. बीबी माहेश्वरी से बात करके हमने जाना कि सामान्य तौर पर होने वाली बीमारियां कौन-कौन सी हैं और हम उनसे बचकर कैसे स्वस्थ जीवन जी सकते हैं....

कम्यूनिकेबल डिजीजेस
कम्यूनिकेबल डिजीजेस यानी की संक्रामक बीमारियां, यानी की किसी बैक्टीरिया या वायरस द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को फैलने वाली बीमारियां। टीबी, टायफाइड, एड्स, मलेरिया, चेचक, हेपेटाइटिस  जैसे रोग संक्रामक रोगों की श्रेणी में आते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि दुनिया भर में संक्रामक रोग पहले से कहीं ज्यादा तेजी से फैल रहे हैं और उनका इलाज करना ज्यादा मुश्किल हो गया है । अपनी वार्षिक विश्व स्वास्थ्य रिपोर्ट 2008 में राष्ट्र संघ एजेंसी ने कहा है कि 1970 के दशक से हर साल एक या ज्यादा नए रोगों का पता चल रहा है, जो अभूतपूर्व है । एजेंसी ने कहा है कि तपेदिक जैसी जानी-मानी बीमारियों को नियंत्रित करने के प्रयास भी सीमित हो रहे हैं, क्योंकि वे ज्यादा ताकतवर और दवाइयों की प्रतिरोधी किस्मों में विकसित होती जा रही हैं । इन बीमारियों से बचने के लिए जरूरी है कि आप अपने आस-पास सफाई रखें। जो व्यक्ति इन रोगों का शिकार हैं उनकी इस्तेमाल की हुई चीजों को इस्तेमाल न करें। ध्यान रहे इन बीमारियों से पीड़ित लोगों से बातें करने से या उनके साथ बैठकर खाना खाने से आप उस रोग का शिकार नहीं होंगे।

पानी के द्वारा फैलने वाली बीमारियां
हम में से ज्यादातर लोग ऐसे हैं जो ये मान लेते हैं कि सबमर्सिबल या हैंडपंप से आने वाला पानी पूरी तरह से स्वच्छ और पीने योग्य होता है, जबकि ऐसा नहीं है। ये पानी भी पूरी तरह से शुद्ध नहीं होता है। इसलिए जरूरी है कि आप खाना बनाने में या पीने में जो पानी इस्तेमाल करें वो फिल्टर किया हुआ हो। अगर आपके पास पानी को फिल्टर करने की सुविधा उपलब्ध नहीं है तो आप पानी को उबाल कर भी इसे कीटाणु मुक्त बना सकते हैं। उबला हुआ पानी सबसे ज्यादा शुद्ध माना जाता है। आगरा के ज्यादातर घरों में सप्लाई वाला पानी इस्तेमाल में लाया जाता है। इस पानी में फ्लोरीन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है इसलिए इसे भी पीने के लिए या खाना बनाने में प्रयोग नहीं करना चाहिए। कॉलेरा, डिसेंट्री, टायफाइड, डायरिया ऐसी बीमारियां हैं जो ज्यादातर दूषित पानी पीने की वजह से फैलती हैं। अगर आपको इन सब बीमारियों से बचना है तो जरूरी है कि स्वच्छ पानी का इस्तेमाल करें।

मच्छरों के द्वारा फैलने वाली बीमारियां
मलेरिया, डेंगू, दिमागी बुखार जैसी बीमारियां मच्छरों के काटने से फैलती हैं। कुछ अवस्थाओं में इन बीमारियों का कहर इतना ज्यादा हो जाता है कि रोगी की मौत भी हो सकती है। इन बीमारियों से बचने के लिए जरूरी है कि आप अपने घर में मच्छरों को न आने दें, शाम होते ही घर के दरवाजे और खिड़कियां बंद कर लें, कमरे में मॉस्कीटो रिप्लेंट्स यूज करें। इसके साथ ही मच्छरदानी का भी इस्तेमाल करें। घर के आस-पास कूड़ा या गंदा पानी इकट्ठा न होने दें क्योंकि ऐसी जगहों पर ही मच्छर पनपते हैं।

ड्रॉपलेट इनफेक्शन
ड्रापलेट इनफेक्शन यानी की छीटों या बूंदों के द्वारा फैलने वाला इनफेक्शन। इसे हम एयरबॉर्न इनफेक्शन भी कह सकते हैं। खांसी या जुकाम से ग्रस्त कोई व्यक्ति जब खांसता या छींकता है तो उस समय कुछ कीटाणु उसकी खांसी या छींक के साथ निकलकर वातावरण में फैल जाते हैं और हवा के साथ बहकर एक जगह से दूसरी जगह पहुंच जाते हैं। इस संक्रमित हवा में जब कोई स्वस्थ व्यक्ति सांस लेता है तो ये कीटाणु उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और वो व्यक्ति उस रोग का शिकार हो जाता है। इसलिए ये जरुरी है कि खांसते या छींकते समय आप रुमाल का इस्तेमाल करें।

खराब लाइफस्टाइल के कारण होने वाली बीमारियां
डायबिटीज, हायपरटेंशन, कैंसर, आॅस्टियोपोरोसिस, अल्जाइमर, तनाव, अवसाद आदि कई ऐसी बीमारियां हैं जो खराब लाइफस्टाइल के कारण होती हैं। देर से सोना, जल्दी जागना, देर तक सोना, ब्रेकफास्ट न करना, जंक फूड्स पर डिपेंड रहना, प्रॉपर डाइट न लेना जैसे कई कारण है जो व्यक्ति को इन बीमारियों का शिकार बनाते हैं।

कुछ टिप्स
- रोज एक्सरसाइज करें।
- ब्रेकफास्ट जरूर करें।
- मॉर्निंग वॉक को रुटीन में शामिल करें।
- फास्ट फूड को अवॉइड करें।
- यंगस्टर्स विशेषकर मौसम के हिसाब से कपड़े पहनें। ज्यादा टाइट कपड़ों को न पहनें।
- एसी का इस्तेमाल ज्यादा न करें।
- अपने बैठने के पॉश्चर को सुधारें, क्योंकि इससे कमर दर्द की समस्या सबसे ज्यादा होती है।
- कुछ भी खाने से पहले या खाने के बाद हाथों को साबुन से जरूर धोएं।
- घर में भी हाइजीन का विशेष ध्यान रखें।

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

कान्हा तुम ही मेरा प्यार हो

मुश्किल होता है

तुम चुप रहो