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अंतर

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रात के बारह बज रहे थे। अंकिता अपने पति का आॅफिस से लौटने का इंतजार कर रही थी। तभी डोर वेल बजी। अंकिता ने उठकर दरवाजा खोला। सामने अनिकेत चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट के साथ खड़ा था। अंकिता ने उसको गले लगाया और उससे फ्रेश होने को कहकर खाना निकालने चली गई। दोनों साथ में खाना खा रहे थे, तभी अंकिता ने अनिकेत से कहा कि आज आॅफिस में साथ काम करने वाले एक कलिंग ने उससे बोला कि अगर आपके घर के पास कोई कमरा खाली हो तो मुझे दिलवा दीजिए लेकिन मैंने एक-दो रूम के बारे में बताया और बहाना बनाकर टाल दिया। दरअसल अंकिता और अनिकेत दोनों एक ही आॅफिस में काम करते हैं ल ेकिन अंकिता की दिन की शिफ्ट होती है और अनिकेत की इवनिंग शिफ्ट होती है। इस  बात पर अनिकेत बिफर गया और बोला कि उसने तुमसे ही क्यों कमरा दिलवाने के लिए बोला , मैं भी तो वहीं काम करता हूं फिर उसने मुझसे क्यों नहीं बोला। अंकिता ने अपनी  सफाई देनी चाही लेकिल अनिकेत कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था। अंकिता ने अनिकेत से बात करनी चाहिए लेकिन अनिकेत नींद आने का बहाना बनाकर सोने चला गया। अंकिता बिस्तर पर लेटी और उसे कुछ दिन पुरानी घटना याद गई। जब ...

हनुमान और राम

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एक ही कक्षा में पढ़ते थे हनुमान और राम मेधावी थे राम और हनुमान बेकाम गुंडा गर्दी में वे आगे खेलकूद में सरपट भागे राम थे पोथी तक सीमित और पढ़ाई में आगे इम्तिहान जब सिर पर आया, हनुमान ने पाठ पढ़ाया मां से कहा मेहनत है पड़ती इसलिए दुगना घी खाया हुए परीक्षा फल जब घोषित हनुमान थे अनुत्तीर्ण और राम हुए उत्तीर्ण हनुमान ने लगा लिया अब चौराहे पर खोखा जिसमें रखकर बेचते थे वे आगरे वाला पेठा राम ने आगे की पढ़ाई और डिग्रियां पार्इं पर ये सारी विद्या उनको रोटी न दे पाई आखिर थक कर गए वो हनुमान के पास बोले यार काम न मिलता मैं हूं एमए पास हनुमान से सोचा समझा फिर लिखी एक पाती कपड़े की मिल में यार को अपने बना दिया चपरासी

फेसबुक की महिमा

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हर कोई है यहां फेसबुक का दीवाना जिसके चलते हो गया है घरवालों से बेगाना हर पांच मिनट में चेक करना है सबको प्रोफाइल कमेंट देखकर चेहरे पर आ जाती है प्यारी सी स्माइल जिसके पोस्ट पर ज्यादा कमेंट वो समझता है खुद को हीरो जिसके पास नहीं है लाइक्स वो कहलाता है जीरो सोशल मीडिया में फेसबुक की महिमा है सबसे न्यारी इसके सामने नहीं है कुछ भी ट्विटर और ब्लॉगगीरी अगर नहीं हो  फेसबुक पर तो कर लो इसमें एन्ट्री हो जाइगी जिससे आपकी लाइफ भी कॉमप्लमेंट्री इसके बहाने हो जाता है लोगों का स्टेटस अपडेट जो नहीं है फेसबुक पर वो है आउट ऑफ डेट

वादा स्वस्थ रहने का

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हर वर्ष 7 अप्रैल को  ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’  मनाया जाता है। इसी दिन सफल जीवन के लिए स्वास्थ्य के महत्व को समझते हुए 7 अप्रैल, 1948 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की स्थापना की गई थी। अंग्रेजी में एक कहावत है ‘हेल्थ इज वेल्थ’ अर्थात स्वास्थ्य ही पूंजी है। लेकिन वर्तमान परिदृश्य पर नजर डालें तो शायद ही कोई व्यक्ति अपने स्वस्थ शरीर के महत्व को समझता हो। दुनिया के अधिकांश देशों में आज ऐसे हालात बन गए हैं जिनमें जटिल और तनावग्रस्त जीवनशैली से जूझता हुआ व्यक्ति ना तो अपने खान-पान पर ध्यान देता है और ना ही अपने स्वास्थ्य की अहमियत समझता है। हममें से कुछ लोग ऐसे हैं जो अपने काम और व्यस्तता के चलते अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाते तो कुछ लोग ऐसे हैं जो पर्याप्त साधन न होने के कारण इस ओर ध्यान नहीं दे पाते। इस विश्व स्वास्थ्य दिवस पर एसएन मेडिकल कॉलेज के भूतपूर्व प्रोफेसर सीनियर कसंल्टेंट फिजीशियन डॉ. बीबी माहेश्वरी से बात करके हमने जाना कि सामान्य तौर पर होने वाली बीमारियां कौन-कौन सी हैं और हम उनसे बचकर कैसे स्वस्थ जीवन जी सकते हैं.... कम्यूनिकेबल डिजीजेस कम्यूनिकेबल ...

कौन है वो

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कभी तपती धूप में भी जुगनू सा चमकता है वो कभी चांद की  रोशनी में दिए सा जलता है वो कभी लाल गुलाब पर गिरी शबनमी बूंद की तरह इतराता है वो कभी मां के गले में पड़ी तस्बीह के दाने जैसा इठलाता है वो कभी आसमान में बादलों के झुंड सा नजर आता है वो कभी बारिश की बूंदों सा धरती पर गिर जाता है वो कभी मुझे ख्वाबों में जगाकर खुद सो जाता है वो कभी दादी की लोरी की तरह मुझे थपथपाता है वो कभी जमीन पर उगी घास की तरह पैरों को गुदगुदाता है वो कभी पेड़ की डाल पर बैठी कोयल की तरह गुनगुनाता है वो कभी बहती हवा में मोगरे की सुगंध सा बिखर जाता है वो कौन है वो, कहां है वो मेरे ही सवालों में मुझे उलझाता है वो, कहां-कहां मैं ढूंढूं उसे, हर जगह तो मुझे नजर आता है वो....

सुंदरता और रुपये

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लोग कहते हैं कि सुबह-सुबह देखा हुआ ख्वाब सच हो जाता है उसने भी तो देखा था भोर की पहली किरण के साथ एक ख्वाब देखा था उसने की उसके लिए भी खुदा ने चुना है एक हमसफर को देखा था उसने कि कोई भीड़ में से निकलता हुआ आ रहा है उसके पास और उसका हाथ थामकर ले जाता है उसको अपने साथ लेकिन अभी तक नहीं सच हुआ उसका ये सुबह को देखा हुआ ख्वाब अब तो जिंदगी के पैंतीस बसंत निकल चुके हैं उसे इंतजार करते हुए, लेकिन कोई नहीं उसका हाथ थामने क्या गलती थी उसकी, शायद ये कि उसका रंग बाकी लड़कियों की तरह गोरा नहीं था, हां शायद सांवला होना ही उसकी गलती थी.. तो क्या हुआ गर वो सांवली थी..पढ़ने में तो तेज थी, खाना बनाना भी जानती थी घर के सारे कामों में तो उसकी मम्मी ने उसे पहले से ही निपुण कर दिया था लेकिन एक लड़की की शादी होने के लिए इस सब से ऊपर होता है उसका गोरा होना सुंदर होना... ऐसा नहीं था कि सिर्फ सुंदर होना ही उसके ब्याहता न होने की सबसे बड़ी वजह थी एक और भी कारण था इसका, उसके ‘ कु ’रूप होने से भी बड़ा कारण दूल्हा खरीदने के लिए उसके किसान बाप के पास रुपये नहीं थे... बिना गुणों के, बिना रूप के, यह...

पथराए नैन

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पिया से मिलन की आस में पथरा गए मोरे नैन पिया न मिलन को आए मोहसे बीतीं जाने कितनी रैन बीतीं जाने कितनी रैन कि न आया पिया का संदेशा फंस गए होंगे किसी काम में हुआ दिल को ऐसा अंदेशा इस अंदेशे में दिन काटे और काटीं कितनी रातें अब तो करने लगीं हूं मैं खुद से ही खुद की बातें बातें करते-करते हो जाती सुबह से शाम दिन बीत जाता है पूरा पर न होता मुझसे कोई काम सखियां कहते मुझसे तो हो गई है रे पागल अंसुअन की धार में बहता तेरी आंखों का काजल मैं कहती काजल का क्या है ये तो फिर से लग जाएगा पिया न आए गर मोरे तो इन अंखियन को कुछ न भाएगा