हर बार टूटते हैं ख्वाब
और ख्वाबों के टूटने के साथ
टूट जाती हूं मैं भी
लेकिन फिर मन सजा लेता है
कुछ कभी न पूरे होने वाले ख्वाब
चाहे लाख कोशिश कर लूं
कि न देखूं कोई ख्वाब
फिर भी कभी आँखें तो
कभी दिल और कभी
ख्वाहिशें धोखा दे जाती हैं
और पलकों में
नए उजालों के साथ
पलने लगते हैं नए ख्वाब
कभी देखती हूं मैं
सुनहरी सी सुबह में उनकी
आंखों की चमक देखने का ख्वाब
कभी गुनगुनी धूप में उनकी
छांव बनने का ख्वाब
कभी ढलती शाम में उनकी
बाहों में ढलने का ख्वाब
कभी चांदनी रात में उनकी
धड़कनों में खोने का ख्वाब
और इन सभी ख्वाबों को
जीना चाहती हूं मैं एक दिन नहीं
बल्कि जिंदगी भर
जानती हूं शायद कभी नहीं
पूरे होंगे मेरे ये छोटे-छोटे
लेकिन बहुत बड़े ख्वाब
फिर भी नई आशा और
नई उम्मीद के साथ
हर रात ख्वाबों में
सजते हैं कुछ नए ख्वाब
और ख्वाबों के टूटने के साथ
टूट जाती हूं मैं भी
लेकिन फिर मन सजा लेता है
कुछ कभी न पूरे होने वाले ख्वाब
चाहे लाख कोशिश कर लूं
कि न देखूं कोई ख्वाब
फिर भी कभी आँखें तो
कभी दिल और कभी
ख्वाहिशें धोखा दे जाती हैं
और पलकों में
नए उजालों के साथ
पलने लगते हैं नए ख्वाब
कभी देखती हूं मैं
सुनहरी सी सुबह में उनकी
आंखों की चमक देखने का ख्वाब
कभी गुनगुनी धूप में उनकी
छांव बनने का ख्वाब
कभी ढलती शाम में उनकी
बाहों में ढलने का ख्वाब
कभी चांदनी रात में उनकी
धड़कनों में खोने का ख्वाब
और इन सभी ख्वाबों को
जीना चाहती हूं मैं एक दिन नहीं
बल्कि जिंदगी भर
जानती हूं शायद कभी नहीं
पूरे होंगे मेरे ये छोटे-छोटे
लेकिन बहुत बड़े ख्वाब
फिर भी नई आशा और
नई उम्मीद के साथ
हर रात ख्वाबों में
सजते हैं कुछ नए ख्वाब
ख्वाहिशों को पूरा होने में तोड़ा वक़्त लगता है ..इंतज़ार कीजिए ज़रूर पुर होंगे.
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता लिखी है आपने.
मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है.
http://iwillrocknow.blogspot.in/
sundar
ReplyDeleteयदि श्च्चे मन से कोई ख्वाव देखे जाएं तो अवश्य पूर्ण होते हैं |
ReplyDeleteउम्दा रचना |
यदि सच्चे मन से कोई ख्वाव देखे जाएं तो अवश्य पूरे होते हैं |
ReplyDeleteउम्दा रचना
कल 08/जनवरी/2015 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
खवाबों के बिना भी क्या जीना ....बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति ....मंगलकामनाएँ
ReplyDeleteउम्मीद हो तो दुनिया जरूर मिलेगी ... ख्वाब पूरे होने ...
ReplyDeleteज़िंदगी ही जब ख्वाब है तो उन्हें देखना ही होगा, ख्वाब पुरे भी होते हैं, हमेशा टूटते ही नहीं हैं. अच्छी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteजो ख्वाब नहीं देखता वह भला क्या करेगा ...ये भी इंसान के लिए जरुरी हैं ...तभी तो वह कुछ करेगा ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ख्वाबों का जगना, टूटना और फिर नए ख्वाब देखना यही तो जीवन है....अहसासों को बहुत खूबसूरती से संजोया है शब्दों में...
ReplyDeleteख्वाबों के टूटने के बावजूद ज़िंदगी की डोर को थामे रखना यही असली जीवटता है। नाजुक अहसासों को लिये सुंदर रचना।
ReplyDeleteखट्टी-मीठी यादों से भरे साल के गुजरने पर दुख तो होता है पर नया साल कई उमंग और उत्साह के साथ दस्तक देगा ऐसी उम्मीद है। नवर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना...... बेहद उम्दा और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@मेरे सपनों का भारत ऐसा भारत हो तो बेहतर हो
मुकेश की याद में@चन्दन-सा बदन