जिसे अपने दिल में छुपाकर
काटा मैंने हर एक दिन
मेरे पास भले ही नहीं थे तुम
लेकिन तुमसे दूर नहीं थी मैं
आज जब मिले हो तुम मुझे
इतने सालों बाद तो
जी करता है कि आने वाले
हर पल को बिताऊं तुम्हारे साथ
तुम्हारेचेहरे को बसा लूं अपनी आंखों में
तुम्हारी खुशबू से महका लूं अपना मन
छुप जाऊं तुम्हारे सीने में मैं
समा जाऊं तुम्हारी सांसों में
हाथों में लेकर तुम्हारा हाथ
देखती रहूं तुम्हारी सूरत सारी रात
रख लो तुम मेरे कंधे पर सिर
खो जाऊं मैं तुम्हारी बातों में फिर
जी लूं हर एक लम्हे को जी भरकर
क्या पता फिर तुम्हारा साथ मिले न मिले
सच में हर लम्हे को जी लेना ही सबसे बड़ी उपलब्धि है...बहुत ख़ूबसूरत अहसास और उनकी प्रभावी अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteजो पल मिले उसे जी लेना चाहिए ... फिर उस पल की यादों में उम्र गुज़र जाती है ...
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति
ReplyDelete: नव वर्ष २०१५
kaun mil gya saalon baad anusha...
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति।
ReplyDelete--
नव वर्ष-2015 आपके जीवन में
ढेर सारी खुशियों के लेकर आये
इसी कामना के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार, कल 21 जनवरी 2016 को में शामिल किया गया है।
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमत्रित है ......धन्यवाद !
आपकी लिखी रचना आज कविता मंच में शामिल किया गया है।
ReplyDeleteसंजय भास्कर
कविता मंच
http://kavita-manch.blogspot.in