मेरी चाहत तू, मेरी जिंदगी तू, मेरा ईमान तू है
खलिस है तू दिल की, आराम तू है
कुदरत की रहमत तू, इश्क का पयाम तू है
छाया है मुझ पर जिसका सुरूर वो जाम तू है
शबनमी बूंद सा मखमल खयाल तू है
ढलते सूरज की अंगड़ाई सा अल्हड़ ख्वाब तू है
मेरी आशिकी का खूबसूरत कलाम तू है
जिसके बिना न जी पाऊं मैं वो हंसी नाम तू है
मेरा मकसद तू, मेरा जहां तू, मेरा मुस्तकबिल तू है
जिस राह से भी मैं गुजरूं उसकी मंजिल तू है
सालों से की हुई मोहब्बत का अंजाम तू है
खुदा से की हर मन्नत का ईनाम तू है
मेरी चाहत तू, मेरी जिंदगी तू, मेरा ईमान तू है
खलिस है तू दिल की, आराम तू है
सालों से की हुई मोहब्बत का अंजाम तू है
ReplyDeleteखुदा से की हर मन्नत का ईनाम तू है
सुंदर प्रस्तुति...
बहुत आभार स्मिता जी
Deleteबहुत खूब अनुषा जी
ReplyDeleteसादर
शुक्रिया यश जी
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (28-09-2014) को "कुछ बोलती तस्वीरें" (चर्चा मंच 1750) पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
शारदेय नवरात्रों की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद शास्त्री जी
DeleteBahut khubsurat...ahsaas bhari rachna!!!
ReplyDeleteBahut khubsurat...ahsaas bhari rachna!!!
ReplyDeletethankyou pari ji
Deleteइश्क का लाजवाब अभिव्यक्ति ...तु ही तु है !
ReplyDeleteनवरात्रों की हार्दीक शुभकामनाएं !
शुम्भ निशुम्भ बध - भाग ५
शुम्भ निशुम्भ बध -भाग ४
आभार कालीपद जी
Deleteबहुत हि सुंदर रचना , धन्यवाद !
ReplyDeleteI.A.S.I.H - ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
शुक्रिया आशीष जी
Deleteधन्यवाद कुलदीप जी
ReplyDeleteVery nice post..
ReplyDeleteसमर्पित प्रेम की बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteआभार कैलाश जी
Deleteमेरा मकसद तू, मेरा जहां तू, मेरा मुस्तकबिल तू है
ReplyDeleteजिस राह से भी मैं गुजरूं उसकी मंजिल तू है..
सब कुछ तेरे ही नाम है ... और मैं और मेरा क्या ... सब अचा बुरा तेरे ही नाम ... प्रेम के नाम ...
सही कहा आपने नासवा जी सब कुछ प्रेम के नाम.. प्रेम है तभी तो जीवन है ... प्रतिक्रिया के लिए आपका धन्यवाद
Deleteप्रेम की भाषा ही ऐसी है। बहुत सुन्दर प्रस्तुति। स्वयं शून्य
ReplyDeleteसुंदर प्रेम कविता :)
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