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तुम्हारी मोहब्बत का सावन

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बरस रहा है एक सावन कहीं खिड़की के बाहर मेरे भीतर भी बरसता रहता है एक सावन तुम्हारे प्यार की रिमझिम फुहार भिगो देती है मेरे मन को बारिश की हर बूंद में मुस्कुराते दिखते हो तुम उन्हें उठाने की कोशिश करती हूं मैं जैसे अपने हाथों में भर रही हूं तुम्हारा चेहरा तेज बरसती बारिश में भीगने से होता है तुम्हारे प्यार में भीगने का अहसास सावन की हरियाली जैसे ही ताजे हो जाते हैं तुम्हारे साथ बीते पल मन में कहीं कूकने लगती है कोयल जो गाती है हमारी मोहब्बत के तराने बागों में नाचते मोर की तरह लगता है जैसे मैंने भी फैला लिए हों पर और नाच रही हूं मैं भी कि मुझ पर भी तो बरस रहा है तुम्हारी मोहब्बत का सावन

क्योंकि मोहब्बत है वो

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प्यार अक्सर हार जाता है कोशिशें इसमें कामयाब नहीं होती हैं अपेक्षाएं फेर देती हैं इस पर पानी जिसके लिए जीना ही था आपकी जिंदगी कई बार उसके जीवन की चुभन बन जाते हैं आप हर पल उसकी ख्वाहिश करना ही मार देता है आपकी ख्वाहिशें जिस तरह ताली एक हाथ से नहीं बजती रिश्ते भी एक तरफ से नहीं निभाए जाते मोहब्बत यूं ही कम नहीं होती तरसती है, बिलखती है और कराहती भी तब कहीं रुक-रुक कर चलता है उसकी सांसों का सिलसिला लेकिन वो फिर भी मरती नहीं है हर खुशी को उसके ऊपर न्योछावर करने के बाद भी जब वो कहता है तुमने किया ही क्या है मेरे लिए ये सुनने के बाद भी नहीं थमती हैं मोहब्बत की सांसें बस तड़पती रहती है वो उसकी आंखों में अपने लिए उपेक्षा के भाव देखकर फिर भी उम्मीद होती है कि शायद इस अँधेरे के बाद उजाला उसके नसीब में भी हो क्योंकि मोहब्बत है वो जो कभी खत्म नहीं होती

तुमसे ही है इस दिल को करार

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मेरी जिंदगी मेरी जरूरत हो तुम मुमकिन नहीं है मेरे लिए तुम्हारे बिना रहना मैं हूं थोड़ी अक्खड़, कुछ बत्तमीज भी झगड़ती हूं तुमसे और रोती भी हूं बेवजह तुम्हारी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाती मैं जैसा तुम चाहते हो वैसी नहीं बन पाती मैं कोशिश तो करती हूं मैं कि बदल दूं खुद को पर मेरी गलतियां ही फेर देतीं हैं मेरी मेहनत पर पानी जुबां बहुत कड़वी है मेरी, पर दिल में तुम ही हो बिन सांसों के हो जैसे जीवन वैसे ही हूं मैं तुम्हारे बिन कि मेरा दिल भी धड़कता है तुम्हारी धड़कनों से तुम्हारा अहसास ही जगाता है मुझमें जीने की चाहत आँखें खुली हों या बंद आते हैं उनमें तुम्हारे ही सपने चाहती हूं कि जिंदगी का हर पल गुजरे तुम्हारे साथ कि तुम ही तो इस पूरे जहां में मेरे अपने मेरी नादानियां कहो या कहो तुम बदमिजाजी पर तुमसे ही बनता है मेरी ख्वाहिशों का मिजाज माना मैं हूं गलत पर तुम तो हो सही माफी मांगती हूं मैं तुमसे फिर एक बार जहां हो तुम मैं हूं वहीं  कि तुमसे ही है इस दिल को करार

ऐतबार

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तुम भले ही न करो अपने प्यार का इकरार पर मुझको है तुम पर पूरा ऐतबार तुम्हारी हूं मैं और रहूंगी भी तुम्हारी करूंगी सात जन्मों तक मैं तुम्हारा इंतजार कभी तो बयां करोगे तुम अपने जज्बात कि तुम्हारे सीने में दबा है बस मेरा प्यार कोशिश कर लो रोकने की खुद को चाहे जितनी तुम्हें आना ही होगा मेरे पास बार-बार पलकों में मेरी सूरत को छुपा पाओगे कैसे आंखों की जुबां के भी तो लफ्ज होते हैं हजार तुम्हें पाना है मेरी जिंदगी की ख्वाहिश मिलो तुम मुझे जहां के इस पार या उस पार तुम भले ही न करो अपने प्यार का इकरार पर मुझको है तुम पर पूरा ऐतबार