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तुम 'लड़की' हो

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कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम क्या करती हो, तुम्हारी उम्र क्या है, तुम्हारा पहनावा कैसा है, तुम्हारा रहन-सहन कैसा है, तुम साहसी हो या कमजोर तुम 'लड़की' हो, बस इतना ही काफी है तुम्हारा यौन शोषण होने के लिए।।। कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम अकेली हो तुम्हारा साथ कोई देता या नहीं तुम्हारी खिल्ली उड़ाई जाती है तुम्हारी आलोचना होती है तुम्हें दोयम दर्जे की समझा जाता है फिर भी, तुम 'लड़की' हो और तुम्हारी एक साहस भरी आवाज ही काफी है समाज की विकृत होती मानसिकता को एक सही दिशा दिखाने के लिए।

गुलाल जो बिखरा था राहों में

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रंग और गुलाल जो बिखरा था राहों में आती-जाती भीड़ और उड़ता धूल का गुबार राहों में याद करती उस दिन को जब उससे मिली थी इन्हीं राहों में साथ चलते-चलते छूट गया था हाथ कहीं राहों में देख रही थी वो ख्वाब जो बिखरा था राहों में कर रही थी वो बैठी इंतजार राहों में साथ चलेंगे फिर वे बनकर हमसफर जिंदगी की राहों में

मेरा भरोसा

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आरजू-ए-इश्क तो हम भी रखते हैं इस अरज़1  के लोगों से मोहब्बत हम भी करते हैं एक अफवाह से आशुफ्ता2 हो गए हैं हम कि लोग कहते हैं कि एक अश्किया3  से इश्क कर बैठे हैं हम लेकिन उनके अस्काम4 अल्फाजों का नहीं पड़ता है मुझपे कोई असर सोच जो लिया है मैंने कि जिंदगी तो करनी है मुझे उसके ही साथ बसर यूं तो इस दुनिया में न तो कोई अच्छा है और न ही है कोई बुरा अक़िबत5 में क्या होगा ये है किसको पता आगाज करने में ही जो हम घबरा जाएंगे तो खुशियों को अपने आगोश में कभी न समेट पाएंगे इस जहां में कोई भी तो नहीं है अर्जमंद6 शक का जो दार7 बनाएंगे तो खुशियां कहां से लाएंगे कोई कुछ भी रहता रहे मुझे है उस पर पूरा भरोसा मेरी आंखों में आब-ए-चश्म8 का अस्बाब9 न बनेगा वो कभी नाआश्नाओं10 की बातों में आकर खुद पर न सितम ढाएंगे 1-धरती 2- भ्रमित 3-कठोर दिल 4-बुरे  5-भविष्य 6-महान 7-घर  8-आंसू 9- कारण 10-अजनबियों

अंतर

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रात के बारह बज रहे थे। अंकिता अपने पति का आॅफिस से लौटने का इंतजार कर रही थी। तभी डोर वेल बजी। अंकिता ने उठकर दरवाजा खोला। सामने अनिकेत चेहरे पर हल्की मुस्कुराहट के साथ खड़ा था। अंकिता ने उसको गले लगाया और उससे फ्रेश होने को कहकर खाना निकालने चली गई। दोनों साथ में खाना खा रहे थे, तभी अंकिता ने अनिकेत से कहा कि आज आॅफिस में साथ काम करने वाले एक कलिंग ने उससे बोला कि अगर आपके घर के पास कोई कमरा खाली हो तो मुझे दिलवा दीजिए लेकिन मैंने एक-दो रूम के बारे में बताया और बहाना बनाकर टाल दिया। दरअसल अंकिता और अनिकेत दोनों एक ही आॅफिस में काम करते हैं ल ेकिन अंकिता की दिन की शिफ्ट होती है और अनिकेत की इवनिंग शिफ्ट होती है। इस  बात पर अनिकेत बिफर गया और बोला कि उसने तुमसे ही क्यों कमरा दिलवाने के लिए बोला , मैं भी तो वहीं काम करता हूं फिर उसने मुझसे क्यों नहीं बोला। अंकिता ने अपनी  सफाई देनी चाही लेकिल अनिकेत कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था। अंकिता ने अनिकेत से बात करनी चाहिए लेकिन अनिकेत नींद आने का बहाना बनाकर सोने चला गया। अंकिता बिस्तर पर लेटी और उसे कुछ दिन पुरानी घटना याद गई। जब ...

हनुमान और राम

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एक ही कक्षा में पढ़ते थे हनुमान और राम मेधावी थे राम और हनुमान बेकाम गुंडा गर्दी में वे आगे खेलकूद में सरपट भागे राम थे पोथी तक सीमित और पढ़ाई में आगे इम्तिहान जब सिर पर आया, हनुमान ने पाठ पढ़ाया मां से कहा मेहनत है पड़ती इसलिए दुगना घी खाया हुए परीक्षा फल जब घोषित हनुमान थे अनुत्तीर्ण और राम हुए उत्तीर्ण हनुमान ने लगा लिया अब चौराहे पर खोखा जिसमें रखकर बेचते थे वे आगरे वाला पेठा राम ने आगे की पढ़ाई और डिग्रियां पार्इं पर ये सारी विद्या उनको रोटी न दे पाई आखिर थक कर गए वो हनुमान के पास बोले यार काम न मिलता मैं हूं एमए पास हनुमान से सोचा समझा फिर लिखी एक पाती कपड़े की मिल में यार को अपने बना दिया चपरासी

फेसबुक की महिमा

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हर कोई है यहां फेसबुक का दीवाना जिसके चलते हो गया है घरवालों से बेगाना हर पांच मिनट में चेक करना है सबको प्रोफाइल कमेंट देखकर चेहरे पर आ जाती है प्यारी सी स्माइल जिसके पोस्ट पर ज्यादा कमेंट वो समझता है खुद को हीरो जिसके पास नहीं है लाइक्स वो कहलाता है जीरो सोशल मीडिया में फेसबुक की महिमा है सबसे न्यारी इसके सामने नहीं है कुछ भी ट्विटर और ब्लॉगगीरी अगर नहीं हो  फेसबुक पर तो कर लो इसमें एन्ट्री हो जाइगी जिससे आपकी लाइफ भी कॉमप्लमेंट्री इसके बहाने हो जाता है लोगों का स्टेटस अपडेट जो नहीं है फेसबुक पर वो है आउट ऑफ डेट

वादा स्वस्थ रहने का

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हर वर्ष 7 अप्रैल को  ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’  मनाया जाता है। इसी दिन सफल जीवन के लिए स्वास्थ्य के महत्व को समझते हुए 7 अप्रैल, 1948 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की स्थापना की गई थी। अंग्रेजी में एक कहावत है ‘हेल्थ इज वेल्थ’ अर्थात स्वास्थ्य ही पूंजी है। लेकिन वर्तमान परिदृश्य पर नजर डालें तो शायद ही कोई व्यक्ति अपने स्वस्थ शरीर के महत्व को समझता हो। दुनिया के अधिकांश देशों में आज ऐसे हालात बन गए हैं जिनमें जटिल और तनावग्रस्त जीवनशैली से जूझता हुआ व्यक्ति ना तो अपने खान-पान पर ध्यान देता है और ना ही अपने स्वास्थ्य की अहमियत समझता है। हममें से कुछ लोग ऐसे हैं जो अपने काम और व्यस्तता के चलते अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाते तो कुछ लोग ऐसे हैं जो पर्याप्त साधन न होने के कारण इस ओर ध्यान नहीं दे पाते। इस विश्व स्वास्थ्य दिवस पर एसएन मेडिकल कॉलेज के भूतपूर्व प्रोफेसर सीनियर कसंल्टेंट फिजीशियन डॉ. बीबी माहेश्वरी से बात करके हमने जाना कि सामान्य तौर पर होने वाली बीमारियां कौन-कौन सी हैं और हम उनसे बचकर कैसे स्वस्थ जीवन जी सकते हैं.... कम्यूनिकेबल डिजीजेस कम्यूनिकेबल ...