तुम 'लड़की' हो

कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम क्या करती हो, तुम्हारी उम्र क्या है, तुम्हारा पहनावा कैसा है, तुम्हारा रहन-सहन कैसा है, तुम साहसी हो या कमजोर तुम 'लड़की' हो, बस इतना ही काफी है तुम्हारा यौन शोषण होने के लिए।।। कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम अकेली हो तुम्हारा साथ कोई देता या नहीं तुम्हारी खिल्ली उड़ाई जाती है तुम्हारी आलोचना होती है तुम्हें दोयम दर्जे की समझा जाता है फिर भी, तुम 'लड़की' हो और तुम्हारी एक साहस भरी आवाज ही काफी है समाज की विकृत होती मानसिकता को एक सही दिशा दिखाने के लिए।