लड़कियों की जिंदगी

बेमानी हैं लड़कियों की बराबरी की बातें
खोखले हैं समाज के सारे दावे
आज भी जकड़ी हुई हैं वो रूढ़ियों की जंजीरो में
जैसे सपने में भागते हैं हम
और बार-बार कोशिश करने पर गिर जाते हैं
नहीं पहुंच पाते अपनी मंजिल तक
बिल्कुल उसी सपने की तरह होती है
लड़कियों की जिंदगी
अपने अरमानों को पूरा करने के लिए
करती हैं वो भी बार-बार कोशिश
लेकिन कभी समाज की दुहाई देकर
कभी मां-बाप की इज्जत की दलील देकर
बांध दी जाती हैं उनके पैरों में
उन्हीं पुरानी परंपराओं की बेड़ियां
लाख कोशिश करने पर भी
हजार बार गिर कर संभलने पर भी
नहीं पहुंच पातीं वो अपनी मंजिल तक
और 'खुले विचारों वाली’ लड़कियां भी
घुट कर रह जाती हैं अंदर ही अंदर
झूठी शान की कोठरी में

Comments

  1. यही मैं हमेशा कहती हूँ
    ढीढ हो जाओ तो ठीक है, अन्यथा कोई फर्क नहीं उनकी ज़िन्दगी में और होगा भी नहीं

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  2. बहुत सुन्दर !

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  3. बहुत बढ़िया

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  4. सहमत आपकी बात से ... हमारा समाज इतना उलझा हुआ है लड़कियों की आजादी के मामले में ... पर बदलाव आ रहा है आजकल और जरूर आयेगा ...

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    Replies
    1. बेशक बदलाव आ रहा है

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  5. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (21-03-2017) को

    चक्का योगी का चले-; चर्चामंच 2608
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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