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Showing posts from April, 2014

लक्ष्मण रेखा

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तुम्हारे पुरुषत्व के अहंकार पर मैं वारी जाऊं पति हो तुम मेरे तो क्यों न तुम पर सर्वस्व लुटाऊं मां-बाप ने बचपन से सिखाया पति की सेवा करना है तुम्हारा परम धर्म वो कभी समझे या न समझे तुम्हारे दिल का मर्म लेकिन नहीं, मैं हूं आज की सबला नारी जो है हर परिस्थिति और किस्मत पर भारी औरतों के लिए तुम्हारी दोहरी मानसिकता को नहीं कर सकती मैं अनदेखा इसलिए खींच रही हूं मैं तुम्हारे और अपने बीच एक लक्ष्मण रेखा पर एक दिन मैं दूंगी तुम्हें अपना तन, मन और पूरा मान लेकिन तब, जब तुम करोगे तुम पूरे दिल से ‘हर स्त्री’का सम्मान

कुछ कहमुकरियां

देर रात वो मुझको सताए आहट करके मुझको जगाए उसने छीना मेरा चैन ऐ सखि साजन!न सखि वॅाचमैन।। ---------------------- उसको देख के मैं छुप जाऊँ जहां हो वो वहाँ मैं नहीं जाऊँ उसने बानाया मुझे बावली ऐ सखि साजन!न सखि छिपकली।। ----------------------- वो है सबसे भोला-भाला मन का सच्चा और निराला उसके लिए मन में नहीं कोई सवाल ऐ सखि साजन!न सखि केजरीवाल।। ------------------------ जब-जब मैं फोन उठाऊं उसको देख के मैं मुस्काऊं नहीं है उसमें कोई ऐब ऐ सखि साजन!न सखि व्हॅाट्स ऐप।।

तुम 'लड़की' हो

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कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम क्या करती हो, तुम्हारी उम्र क्या है, तुम्हारा पहनावा कैसा है, तुम्हारा रहन-सहन कैसा है, तुम साहसी हो या कमजोर तुम 'लड़की' हो, बस इतना ही काफी है तुम्हारा यौन शोषण होने के लिए।।। कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम अकेली हो तुम्हारा साथ कोई देता या नहीं तुम्हारी खिल्ली उड़ाई जाती है तुम्हारी आलोचना होती है तुम्हें दोयम दर्जे की समझा जाता है फिर भी, तुम 'लड़की' हो और तुम्हारी एक साहस भरी आवाज ही काफी है समाज की विकृत होती मानसिकता को एक सही दिशा दिखाने के लिए।