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Showing posts from April, 2016

तुमसे ही है इस दिल को करार

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मेरी जिंदगी मेरी जरूरत हो तुम मुमकिन नहीं है मेरे लिए तुम्हारे बिना रहना मैं हूं थोड़ी अक्खड़, कुछ बत्तमीज भी झगड़ती हूं तुमसे और रोती भी हूं बेवजह तुम्हारी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाती मैं जैसा तुम चाहते हो वैसी नहीं बन पाती मैं कोशिश तो करती हूं मैं कि बदल दूं खुद को पर मेरी गलतियां ही फेर देतीं हैं मेरी मेहनत पर पानी जुबां बहुत कड़वी है मेरी, पर दिल में तुम ही हो बिन सांसों के हो जैसे जीवन वैसे ही हूं मैं तुम्हारे बिन कि मेरा दिल भी धड़कता है तुम्हारी धड़कनों से तुम्हारा अहसास ही जगाता है मुझमें जीने की चाहत आँखें खुली हों या बंद आते हैं उनमें तुम्हारे ही सपने चाहती हूं कि जिंदगी का हर पल गुजरे तुम्हारे साथ कि तुम ही तो इस पूरे जहां में मेरे अपने मेरी नादानियां कहो या कहो तुम बदमिजाजी पर तुमसे ही बनता है मेरी ख्वाहिशों का मिजाज माना मैं हूं गलत पर तुम तो हो सही माफी मांगती हूं मैं तुमसे फिर एक बार जहां हो तुम मैं हूं वहीं  कि तुमसे ही है इस दिल को करार

ऐतबार

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तुम भले ही न करो अपने प्यार का इकरार पर मुझको है तुम पर पूरा ऐतबार तुम्हारी हूं मैं और रहूंगी भी तुम्हारी करूंगी सात जन्मों तक मैं तुम्हारा इंतजार कभी तो बयां करोगे तुम अपने जज्बात कि तुम्हारे सीने में दबा है बस मेरा प्यार कोशिश कर लो रोकने की खुद को चाहे जितनी तुम्हें आना ही होगा मेरे पास बार-बार पलकों में मेरी सूरत को छुपा पाओगे कैसे आंखों की जुबां के भी तो लफ्ज होते हैं हजार तुम्हें पाना है मेरी जिंदगी की ख्वाहिश मिलो तुम मुझे जहां के इस पार या उस पार तुम भले ही न करो अपने प्यार का इकरार पर मुझको है तुम पर पूरा ऐतबार