संस्कारों को पहनावे से न तोलें
खाप पंचायतें तो हमेशा से ही अपने बेबुनियादी फतवों के लिए जानी जाती रही हैं। खाप के सारे सदस्य महिलाओं को एक तुच्छ वस्तु समझते रहे हैं और उन पर हमेशा अपना अधिकार और आदेश थोपने की कोशिश करते रहे हैं। इस सब के बावजूद अगर हरियाणा के जींद जिले के बीबीपुर गांव में खाप में महिलाओं को बराबर का हक और सम्मान दिया जा रहा है तो ये बड़ी बात है और दूसरी ओर मुजफ्फरनगर के मंसूरपुर के गांव दूधाहेड़ी में लड़कियां एक अलग पंचायत बनाकर खाप के फैसलों का समर्थन कर रही हैं और खुद खाप के बताए रास्ते पर चलने के लिए आतुर हो रही हैं। उन्हें खाप का 40 साल से कम उम्र की महिलाओं को घर से बाहर अकेले न निकलने और मोबाइल न रखने का फैसला गलत नहीं सही लग रहा है और वो इसके समर्थन में भी उतर आर्इं। एक ओर तो महिलाएं अपना बर्चस्व बचाने के लिए लड़ाई लड़ रही हैं और दूसरी ओर खाप के ऐसे फैसलों के समर्थन में आगे भी आ रही हैं। वो ये मानने के लिए तैयार हैं कि जींस पहनना, लम्बे नाखून रखना, बाल कटवाना और मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना उनके लिए सही नहीं है। क्या ये सही है? जैसे सूट एक पहनावा है वैसे ही जींस भी एक पहनावा है। सूट से भी पू...