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Tuesday, September 2, 2014

यकीं है मुझे


मुहब्बत पे तुम्हारी यकीं है मुझे 
पर किस्मत पर अपनी भरोसा नहीं

पास रहना तुम्हारे है मुश्किल बहुत
दूर जाना भी तुमसे है मुमकिन नहीं

एक बारी तो करीब आकर देखो मुझे 
दिल तो है सीने में पर धड़कन नहीं

कहते हैं सब तुम्हारे साथ होगी
जिंदगी बदतर हमारी
बिन तुम्हारे भी तो अब जन्नत नहीं

कहना है हमें आज तुमसे बस इतना 
कि तुम जो नहीं तो हम भी नहीं

20 comments:

  1. पास रहना तुम्हारे है मुश्किल बहुत
    दूर जाना भी तुमसे है मुमकिन नहीं ...
    बहुत खूब ... पर प्रेम की विडंबना भी तो समझनी जरूरी है ... पास ही रहना चाहता है ...
    लाजवाब ग़ज़ल ...

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    1. सही कहा आपने नासवा जी।।
      प्रतिक्रिया के लिए आभार

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 04-09-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1726 में दिया गया है
    आभार

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    1. बहुत आभार विर्क जी

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  3. वाह...।
    बहुत खूब रहे ये फुटकर अशआर।

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  4. शुक्रिया शास्त्री जी

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  5. बहुत सुन्दर

    एक बारी तो करीब आकर देखो मुझे
    दिल तो है सीने में पर धड़कन नहीं

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    1. शुक्रिया अज़ीज़ साहब

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  6. एक बारी तो करीब आकर देखो मुझे
    दिल तो है सीने में पर धड़कन नहीं

    सुन्दर भाव और अर्थ लिए मनभावन प्रेम दिवस गाथा पर .जतलाना बस यही होता है तुम हमारे लिए महत्वपूर्ण हो .ज़रूरी हो साँसों की धौकनी से .

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  7. खुबसूरत रचना

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  8. वाह...बहुत खूब
    पास रहना तुम्हारे है मुश्किल बहुत
    दूर जाना भी तुमसे है मुमकिन नहीं

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  9. सुंदर प्रस्तुति , अनुषा जी धन्यवाद !
    Information and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
    आपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 5 . 9 . 2014 दिन शुक्रवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !

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  10. आभार जोशी जी

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  11. एक बारी तो करीब आकर देखो मुझे
    दिल तो है सीने में पर धड़कन नहीं

    कहते हैं सब तुम्हारे साथ होगी
    जिंदगी बदतर हमारी
    बिन तुम्हारे भी तो अब जन्नत नहीं
    एकदम बढ़िया

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