बस इतना है कहना
बहुत कुछ अनकहा है मेरे और तुम्हारे बीच बहुत कुछ है जो कहना चाहती हूं मैं तुमसे बताना चाहती हूं तुम्हें कि तुम्हारे होने से ही मुझे अपनी धड़कनोें का एहसास होता है तुम्हारी एक धीमी सी मुस्कारहट भी मुझमें नई ऊर्जा का संचार कर जाती है तुम्हारा मुझसे ये कहना कि नहीं रह सकते तुम मेरे बिना मेरे वजूद को और मजबूत बना देता है जब कोई करता है तुम्हारी तारीफ तो मुझे खुद पर गर्व का अनुभव होता है जब तुम मेरा हाथ पकड़ते हो तो लगता है कि जीवन का हर युद्ध हैं जीत जाऊंगी तुम्हारा साथ मुझे जेठ की दुपहरी में भी ठंडक सा दे जाता है तुमसे दूर होने का खयाल भी मुझे भीड़ में तन्हा कर जाता है तुम्हारी आंखों में चाहत की वो शिद्दत देखकर तुम पर फना हो जाने को जी चाहता है तुम्हारे बिना गुजारे कुछ पल भी मुझे सदियों से लम्बे लगते हैं और तुम्हारे साथ बिताए कई घंटे मिनटों में बदल जाते हैं अब मुझे तुमसे बस इतना है कहना कि मुमकिन नहीं है मेरा तुम्हारे बिना रहना