यूं ही बीते जिंदगी का सफर
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बेखयाली में अक्सर एक खयाल आता है कि हंसी हैं वादियां, घटाएं और चमन आवारा सी फिजाएं हैं हर तरफ नदी का किनारा एक खूबसूरत लेटे हो तुम गोद में मेरी सिर रखकर देख रही हूं मैं तुम्हें अपलक तुम्हारा एक हाथ मेरे हाथ में है और दूसरे हाथ से घुमा रही हूं मैं तुम्हारे बालों में उंगलियां तुम्हारे चेहरे पर है हल्की सी मुस्कुराहट मेरी आंखों में भी कुछ शर्म सी है तुम्हारी आवाज में कशिश सी है मेरे दिल में भी हलचल अजब सी है बैठी रहती हूं मैं यूं ही कई घंटों और तुम भी लेटे रहते हो बस इसी तरह ख्वाब है ये मेरा सबसे बड़ा कि ये खयाल बन जाए मेरे जीवन की हकीकत यूं ही बस यूं ही कट जाए हर लम्हा यूं ही बीते जिंदगी का सफर