...क्योंकि यादें कभी नहीं मरतीं
यादें... कुछ सहमी सी, कुछ ठहरी सी कुछ नाजुक सी, कुछ हल्की सी कुछ मीठी सी, कुछ खट्टी भी सालों से बंद पड़े मन के दरवाजे की कुंडी को हौले से खोलकर दिल में दाखिल होतीं... धीरे से कदम बढ़ातीं, कुछ धूल चढ़ी परतों को फूक मारकर उड़ातीं तुम्हारे चेहरे के हर भाव को आंखों के सामने दोहरातीं मुस्कुराकर कभी कहा था तुमने कि मैं ही हूं तुम्हारा प्यार उस एक पल में पूरी जिंदगी को जी जातीं बचपन में अपने गांव में एक आम के पेड़ पर जो लिखा था मैंने तुम्हारा नाम उसे जेहन में फिर से सजातीं दिल को ये एहसास दिलातीं कि हो जाओ चाहे तुम किसी के भी बिताओ अपनी जिंदगी किसी के साथ लेकिन जब तक हैं ये यादें तब तक तुम हो... मेरे करीब, मेरी सांसों में समाए और रहोगे ताउम्र यूं ही मेरे साथ चलते क्योंकि यादें कभी नहीं मरतीं...