एक हंसी ख्वाब


कभी खुली तो कभी बंद आंखों से देखा था एक ख्वाब
कभी सोते तो कभी जागते हुए देखा था एक ख्वाब
एक हंसी हमसफर का हाथ थामे समंदर के किनारे टहलने का ख्वाब
उसकी बाहों में बाहें डाले अम्बर की ऊंचाइयां छूने का ख्वाब
उसकी एक प्यारी सी मुस्कुराहट के लिए कुछ भी कर गुजरने का ख्वाब
उसके चेहरे को देखकर सूरज के उगने और शाम के ढलने का ख्वाब
खुद को उसकी पलकों में छुपाकर जिंदगी गुजारने का ख्वाब
मुझे है यकीं एक दिन खयालों से निकलकर हकीकत से रूबरू होगा मेरा ख्वाब


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