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Friday, June 20, 2014

तुम्हारा नाम लिखेंगे


मुकद्दर-ए-दस्त के हर सफे पे तुम्हारा नाम लिखेंगे
तुम्हीं से आगाज और तुम्हीं से अपना अंजाम लिखेंगे
याद आएगी जब तुम्हारी तुम्हें पैगाम लिखेंगे
खत में तुम्हें हम अपना सलाम लिखेंगे
और फिर उसमें लफ्ज-ए-मोहब्बत तमाम लिखेंगे

दूर तुम्हें हम खुद से कभी होने नहीं देंगे
अपनी चाहत को हम कभी खोने नहीं देंगे
हमारे दरमियां कभी फासलों को आने नहीं देंगे
जर्रे-जर्रे पे अपने इश्क का कलाम लिखेंगे
मुकद्दर-ए-दस्त के हर सफे पे तुम्हारा नाम लिखेंगे

जहां की सारी खुशियों को तुम्हारे दामन में भर देंगे
दिल अपना निकालकर तुम्हारे कदमों में रख देंगे
आंसू का एक कतरा भी आंखों से गिरने नहीं देंगे
आशिकी की किताब में खुद को तुम्हारा गुलाम लिखेंगे
मुकद्दर-ए-दस्त के हर सफे पे तुम्हारा नाम लिखेंगे

15 comments:

  1. जर्रे-जर्रे पे अपने इश्क का कलाम लिखेंगे
    मुकद्दर-ए-दस्त के हर सफे पे तुम्हारा नाम लिखेंगे
    बहुत खूबसूरत ग़ज़ल.

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  2. आशिकी की किताब में खुद को तुम्हारा गुलाम लिखेंगे
    मुकद्दर-ए-दस्त के हर सफे पे तुम्हारा नाम लिखेंगे

    बहुत खूब.....अभीभूत हूँ....खूबसूरत ग़ज़ल पढ़ कर :)))

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    1. आपका बहुत धन्यवाद

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  3. कल 22/जून/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

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  4. बहुत प्यारी रचना !

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  5. उर्दू अल्फ़ाज़ों में भी खूबसूरत लिखतीं हैँ आप!

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  6. शुक्रिया मधुरेश

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  7. Behad khubsurat tana-bana lawzo ka aapka khat.....usme mohobbat... salaam utf kabile tareeeeffff @ANUSHA

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